सन् 2018 में चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध का गहन दौर चलने के बाद अगले साल चीन और बाकी दुनिया के बीच तकनीक युद्ध का नया दौर देखा जा सकता है। इसकी नींव 2018 का साल जाते जाते रख दी गई है। चीन की ह्वावेई कम्पनी मोबाइल और दूरसंचार की नवीनतम तकनीक 5-जी से लैस है और यह कम्पनी सबसे सस्ती और बेहतर तकनीक के जरिये 5-जी की सेवाएं देने का भरोसा दे रही है। चीन की इस कम्पनी से मुख्य तौर पर सैमसंग, नोकिया और इरिकसन होड़ कर रही है। 5-जी तकनीक के जरिये दूरसंचार की दुनिया में नई क्रांति पैदा होगी।
अमेरिका के इशारे पर गत दिसम्बर महीने में ही ह्वावेई कम्पनी के मालिक की बेटी और कम्पनी में मुख्य वित्तीय अधिकारी( CFO) मंग वानचओ को कनाडा में इस आरोप पर गिरफ्तार किया गया है कि उसने प्रतिबंधित देश ईऱान को दूरसंचार के उपकरण बेचे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि चीनी अधिकारी पर अमेरिकी अधिकारियों की नजर टिकी थी औऱ मौका मिलते ही उसे इसलिये गिरफ्तार किया गया कि बाकी दुनिया को बताया जा सके कि चीनी कम्पनी ह्वावेई अपनी दूरसंचार सेवाओं के जरिये सेवा लेने वाले देशों में सुरक्षा खतरा पैदा कर सकती है।
ह्वावेई कम्पनी भारत में भी सक्रिय हो चुकी है हालांकि विगत में भारतीय अधिकारियों ने ह्वावेई को सुरक्षा नजरों से देखा था और भारतीय दूरसंचार सेवाओं में इसकी भागीदारी नहीं करने दी थी लेकिन अब हाल में ही जब भारत में 5-जी सेवाएं लांच करने का ताजा टेंडर निकाला गया तो ह्वावेई कम्पनी को भी इसमें भाग लेने को आमंत्रित किया गया। इसके पहले इऱिकसन, नोकिया औऱ सैमसंग कम्पनियों को ही इसमें भाग लेने का निमंत्रण मिला था। पर, हवावेई कम्पनी के अलावा चीन की जेडटीई कम्पनी ने एतराज जाहिर किया तो केवल ह्वावेई को टेंडर में भाग लेने की अनुमति दी गई। चूंकि ह्वावेई कम्पनी यूरोपीय देशों की कम्पनियों से काफी प्रतिस्पर्द्धी दरों पर अपनी सेवाएं देने लगी हैं इसलिये माना जा रहा है कि दुनिया भर में जिस भी देश में ह्वावेई कम्पनी 5-जी के टेंडर में भाग लेगी वहां अपनी बेहतर लागत और दरों के आधार पर टेंडर जीत सकती है। ऐसा होने से चीनी कम्पनी पूरी दुनिया पर छा जाएगी और बाकी प्रतिसपर्द्धी देशों की कम्पनियों का कारोबार ठप हो सकता है।
चीन की ह्वावेई कम्पनी पर आरोप है कि उसके चीनी जनमुक्ति सेना (PLA) से नजदीकी रिश्ते हैं और इस नाते चीनी कम्पनी को अपने अहम डेटा पीएलए से साझा करने होंगे। चूंकि 5-जी दूरसंचार सेवाओं के जरिये इसके सभी ग्राहकों के टेलीफोन औऱ ईमेल आईडी ह्वावेई कम्पनी के पास होंगे इसलिये कम्पनी के डेटा के जरिये चीनी खुफिया एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के निजी ईमेल को देख सकती है और इसमें मौजूद हर तरह की जानकारी हासिल कर सकती है। चीनी सेना चाहे तो ह्वावेई कम्पनी की दूरसंचार सेवाओं को इस तरह ठप कर सकती है कि सम्बद्ध देश की सभी जरूरी सार्वजनिक सेवाएं जैसे- विमान, ट्रेन, बैंक, बिजली आदि को रोक सकती हैं।
सैद्धांतिक तौर पर तो यह मुमकिन है लेकिन क्या वाकई में चीनी कम्पनी इस तरह अपने डेटा का दुरुपयोग करने देगी। चूंकि चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार है औऱ चीनी सेना का चीन की किसी भी घरेलू कम्पनी पर दबदबा रहेगा इसलिये चीनी सेना आसानी से जरुरत पड़ने पर सम्बद्ध देश की दूर संचार सेवाओं को ठप कर या फिर लोगों के निजी मेल में सेंध मार कर उसे नुकसान पहुंचा सकने की स्थिति में होगी। लेकिन यही आरोप तो यूरोपीय 5-जी सेवादाताओं पर भी लगाया जा सकता है। साफ है कि सुरक्षा खतरे के नाम पर दुनिया में एक नई तरह का तकनीकी वर्चस्व का युद्ध अगले साल हम देख सकते हैं।
