ऊदा देवी पासी एक ऐसी भारतीय स्वतन्त्रता सेनानी, जिन्होनें 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय सिपाहियों के साथ युद्ध में भाग लिया था। ये अवध के छठे नवाब वाजिद अली शाह के महिला दस्ते की सदस्य थीं। इस विद्रोह के समय हुई लखनऊ की घेराबंदी के समय लगभग 2000 भारतीय सिपाहियों के शरणस्थल सिकन्दर बाग पर ब्रिटिश फौजों द्वारा हमला कर दिया गया। इस लड़ाई के दौरान ऊदा देवी पुरुषों के वस्त्र धारण कर अपने साथ एक बंदूक और कुछ गोला बारूद लेकर एक पेड़ पर चढ़ गयी थीं। उन्होंने हमलावर ब्रिटिश सैनिकों को सिकंदर बाग में प्रवेश नहीं करने दिया और दर्जनों ब्रिटिश सैनिकों को मौत के घाट उतारने के बाद वे वीरगति को प्राप्त हुईं। ऐसी ही वीरांगना से जुड़ी कुछ खास बातें आज हम आपको बता रहे हैं।
लखनऊ के इस गांव में जन्मीं थीं वीरांगना ऊदा देवी
ऊदा देवी का जन्म लखनऊ के नजदीक स्थित उजिरावां गांव में एक पासी परिवार में हुआ था। ऊदा बचपन से ही निर्भीक स्वभाव की थी और उनका ज्यादातर वक्त जंगल में गुजरता था। जैसे-जैसे ऊदा बड़ी होती गईं, वैसे-वैसे वह अपने साथ के बच्चों का नेतृत्व करने लगी। खेल-खेल में ही तीर चलाना, तेजी से भागना ऊदा के लिए सामान्य बात थी। पढ़ना-लिखना ऊदा के लिए बहुत मुश्किल था। लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें शीघ्र निर्णय लेने वाली, साहसी, दृढ़ निश्चयी और मजबूत हृदय वाली बना दिया था।
