श्रीनगर। गर्भवती नसरीना मंजूर को दरअसल घर चलाने के लिए पैसों की जरूरत थी। घर में 75 वर्षीय ससुर, देवर और विधवा ननद, चार साल के बेटे आरजू समेत 15 लोगों के परिवार में कमाने वाला सिर्फ उसका पति। ऐसे में उसने यह सोचकर रविवार को सुबह अपने पति को फोन किया कि घर चलाने के लिए पैसे भेजने को कहेंगे पर फोन तो पति ने उठाया लेकिन यह भर कह पाया, ‘मैं घायल हूँ।’ अब नसरीना क्या कहती, चुप रह गई और बाद में खबर आई कि उसने तो आतंकियों से लड़ते हुए देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी है। नसरीना का यह पति कोई और नहीं बल्कि राज्य पुलिस का वही कांस्टेबल मंज़ूर अहमद नाइक है जिन्होंने दो आतंकियों को मारकर बहुतों की जान बचा ली।
पत्नी से मंसूर ने कहा-बेटे को जगाओ, बात करूंगा
आँखों में आंसू भरे करीब 30 साल की नसरीना ने उस फोन काल को याद करते हुए कहा, ‘घर में मेरे पास एक भी पैसा नहीं था और उसे पैसे के लिए फोन किया था। उसने मुझसे कहा, ‘मैं घायल हो गया हूँ।’ उन्होंने मुझसे कहा बेटे को जगाओ ताकि उससे बात कर सकूं। उसने मुझसे कहा कि मुझे हल्की चोट लगी है और अब सोने जा रहा हूँ।
पिछली दफा नाइक दो महीने पहले घर गए थे। नसरीना ने सवाल किया, ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ? अब मैं अपने बेटे को क्या बताऊँगी? उसे क्या बताऊँगी कि उसका पिता कहाँ है?
त्राल में रविवार को एक मुठभेड़ में मारे गए नाइक नियंत्रण रेखा के पास उड़ी के सलामाबाद के एक गाँव के रहने वाले थे। वह जम्मू-कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) का हिस्सा थे। वह आतंकियों के खिलाफ उस कार्रवाई दल का भी हिस्सा थे जिसने हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान मुजफ्फर वानी को मार गिराया था।
चाचा ने कहा, सरकार-विभाग परिवार का ख्याल रखे
नाइक के अध्यापक चाचा अब्दुल रहमान नाइक ने कहा, “उसने अपनी ड्यूटी पूरी की। हमें उसकी शहादत पर गर्व है। लेकिन सरकार और उसके विभाग से गुजारिश है कि उसके परिवार का ख्याल रखे।”
