नई दिल्ली। सोमवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कश्मीर में हुर्रियत से जुड़े सात व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जिनपर पाकिस्तान से पैसा लाकर पत्थरबाजों को देने का आरोप है। एनआईए ने हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह सहित जिन सात अलगाववादियों को गिरफ्तार किया हैउनमें तहरीक-ए हुर्रियत के अयाज अकबर और मेहराजुद्दीन के अलावा शाहिद-उल इस्लाम, नईम खान, पीर सैफुल्लाह और तहरीक-ए-हुर्रियत के फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे शामिल हैं।
टीवी चैनल के स्टिंग से चर्चा में आया मामला
पिछले कुछ हफ्तों में एनआईए ने कश्मीर, दिल्ली और हरियाणा में कई जगहों पर छापामारी की थी। इसी साल 19 मई को एनआईए की टीम ने सैयद अली शाह गिलानी सहित कई अलगाववादी नेताओं पर लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद से पैसे लेने और इसे विध्वंसक गतिविधियों में इस्तेमाल करने के मामले में एफआईआर दर्ज की थी। यह मामला एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन से चर्चा में आया था।
हुर्रियत नेताओं के संपर्क में थे ये आदतन पत्थरबाज
इस सिलसिले में सबूत एकत्र करते समय जाँच एजेंसी ने पाया कि जम्मू-कश्मीर के तकरीबन चार दर्जन युवा ऐसे हैं जो बार-बार पत्थरबाजों के बीच नजर आते हैं। इसके इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड एनआईए के पास है। एजेंसी ने ऐसे टेलीफोन संदेशों को भी रिकॉर्ड किया है, जिनसे पता लगता है कि ये 48 ‘आदतन’ पत्थरबाज कुछ स्थानीय और हुर्रियत के नेताओं के लगातार संपर्क में हैं। ये नेता इन्हें पैसा पहुँचाते हैं। ये पत्थरबाज हथियारबंद आतंकियों के साथ जब सुरक्षा बलों की मुठभेड़ होती थी, तो वहाँ पहुँच जाते थे और सेना पर पत्थर चलाते थे। इनमें से ज्यादातर के नाम, उनके फोन नंबर और आईडी अब जाँच एजेंसी के पास हैं। एनआईए ने फेसबुक अकाउंटों की पड़ताल भी की है।
इनकी मददगार बस सेवा तीन हफ्ते से बंद
नियंत्रण रेखा पर लगातार तनाव के कारण पिछले तीन हफ्ते से जम्मू कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर के बीच बस सेवा ठप पड़ी है। नियंत्रण रेखा के दोनों ओर कारोबार करने वाले व्यापारियों ने सोमवार को पुंछ में विरोध प्रदर्शन करके माँग की कि बसे सेवा को फिर से शुरू किया जाए। यह बस सेवा 10 जुलाई को बंद हुई थी और तब से बंद ही पड़ी है। चक्का-दा-बाघ क्रॉसिंग पॉइंट पर कारोबार का शुरुआत सन 2006 में हुई थी। इसके बाद से यह बस सेवा काफी लोकप्रिय हुई है। इसके बाद अक्टूबर 2008 से बार्टर सिस्टम के तहत 21 वस्तुओं का कारोबार शुरू हुआ। यह व्यापार नकदी के आधार पर नहीं होता। माल के बदले में माल भेजा जाता है।
व्यापार के नाम पर पत्थरबाजों को भेजे जाते हैं पैसे
इधर खबरें मिलीं हैं कि सीमा पार से आतंकियों को धनराशि इस व्यापार के मार्फत होती है। वहाँ से जो माल आता है उसका मूल्य कम दिखाया जाता है। पाकिस्तान से पत्थरबाजों को पैसे इसके मार्फत भेजे जा रहे हैं। व्यापार कश्मीर के दोनों हिस्सों के नागरिकों को राहत देने और विश्वास बढ़ाने के इरादे से शुरू किया गया था लेकिन अब इसका इस्तेमाल पत्थरबाजों की फंडिंग के लिए किया जा रहा है।इस व्यापार में ओवर इनवॉइसिंग और अंडर इनवॉइसिंग सिस्टम के चलते पैसा इधर से उधर होता है। जांच में पता चला है कि इस रास्ते से अलगाववादियों को करीब 75 करोड़ की फंडिंग हुई है।
