रायपुर। छत्तीसगढ़ से एक चिंतित करने वाली खबर आई है। खबर यह है कि इस राज्य के माओवाद प्रभावित इलाकों में इस वर्ष सुरक्षा बल के 36 जवान अब तक खुद अपनी जान दे चुके हैं। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक जान देने वालों में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और पुलिस के जवान हैं। चिंता की बात इसलिए हैं कि जवानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बेहद तेजी से बढ़ रही है। पिछले वर्ष 12 जवानों ने आत्महत्या की थी। वर्ष 2015 में छह जवानों ने खुद अपनी जीवन लीला समाप्त की थी। आंकड़े साफ कह रहे हैं कि पिछले वर्ष आत्महत्या करने वाले जवानों की संख्या दोगुनी हो गई थी तो इस बार यह संख्या तीन गुनी हो गई है। निश्चित ही यह चिंता करने वाली बात है कि आखिर क्या वजह है कि हमारे जवान खुद मौत को गले लगा रहे हैं।
राज्य पुलिस के आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2007 से छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित 11 जिलों में 115 जवानों ने आत्महत्या की है। इनमें से 31 फीसदी आत्महत्याएं तो सिर्फ इस वर्ष हुई हैं। आखिर इतनी बड़ी संख्या में जवानों की आत्महत्या के पीछे वजह क्या है? आखिर क्यों हमारे जवान इस तरह के कदम उठा रहे हैं?
वैसे जवानों द्वारा आत्महत्या के पीछे दो-तीन वजहें बताई जाती हैं। कठिन हालात में काम, छुट्टी न मिलना और घर से दूरी। जानकारों के मुताबिक इन तीनों वजह से जवानों में डिप्रेशन घर कर जाता है और कुछ जवान हताशा में आकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं। जानकारों के मुताबिक घर-परिवार से दूरी की वजह से जवानों को मुश्किल क्षणों में भावात्मक संबल नहीं मिल पाता औऱ ऐसी स्थिति में कई जवान अपने मनोभावों पर नियंत्रण नहीं रख पाते और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।
जवानों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति से पुलिस व सुरक्षा बलों के वरिष्ठ अधिकारी भी बेहद चिंतित हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सल अभियान के विशेष महानिदेशक डीएम अवस्थी का कहना है कि जवानों में आत्महत्या को रोकने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद ली जाएगी। जवान आत्महत्या क्यों कर रहे हैं इसके कारणों की जांच के लिए पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया जाएगा।
