नई दिल्ली। कश्मीर में आतंकवादी हिंसा का सामना कर रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने स्थानीय साधनों की मदद से अपने वाहनों को बख्तरबंद गाड़ियों की शक्ल दे दी है। पिछले साल से कश्मीर की घाटी में सीआरपीएफ के वाहनों पर हमले बढ़ गए हैं। पत्थर मार गिरोह भी इन वाहनों को निशाना बना रहे हैं। इस वजह से इस बल को बुलेटप्रूफ या सेमी बुलेटप्रूफ गाड़ियों की जरूरत बढ़ गई है। इस जरूरत को सीआरपीएफ ने अपने साधनों और ‘जुगाड़’ के सहारे पूरा किया है।
CRPF का 78वां स्थापना दिवस
इस अर्धसैनिक बल के 78वें स्थापना दिवस पर सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल आर आर भटनागर ने बताया कि सप्लायरों से वाहनों को हासिल करने की प्रक्रिया काफी लंबी है। हमने अपनी यूनिटों से कहा कि स्थानीय साधनों और वेंडरों की मदद से काम चलाएं। हम कोशिश कर रहे हैं कि हमारी बसें भी आंशिक रूप से बुलेटप्रूफ हो जाएं। हम नियमित बुलेटप्रूफिंग भी करवा रहे हैं। जुगाड़ और इम्प्रोवाइजेशन फौरी व्यवस्था है।
तीन लेयर की बुलेट प्रूफिंग की गई
उन्होंने बताया कि हाल में श्रीनगर के पंथा चौक में हुए एक आतंकी हमले में हमारे आठ जवानों की जान इसी किस्म के जुगाड़ की मदद से बने वाहन के कारण बच गई। दुर्भाग्य से एक सब इंस्पेक्टर की जान फिर भी चली गई। बहरहाल, धातु की प्लेटों, कंक्रीट और लकड़ी की मदद से तीन लेयर की बुलेट प्रूफिंग के कारण ये वाहन बहुत उपयोगी हो रहे हैं।
सीआरपीएफ की स्थापना 27 जुलाई, 1939 को क्राउन रिप्रेजेंटेटिव्स पुलिस (CRP) के नाम से हुई थी। यह दुनिया का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है। इसके जवानों और अफसरों की संख्या तीन लाख है।
