देश पर मर मिटने की बात आती है तो सबसे पहला नाम आता है अमर शहीद भगत सिंह का। उनके और उनके साथियों के बलिदान जैसी मिसाल दुनिया के इतिहास में दूसरी नहीं है। वे आज भी युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं। अलग-अलग दौर में कई फिल्मकारों ने उन पर फिल्में बनाईं। आज हम उन पर बनी कुछ ऐसी ही फिल्मों की चर्चा कर रहे हैं।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह (1954)

फिल्म शहीद-ए-आजम भगत सिंह (1954)
शहीद भगत सिंह पर सबसे पहले फिल्म बनाने का बीड़ा उठाया निर्देशक जगदीश गौतम ने। प्रेम अदीब, जयराज, स्मृति बिस्वास और अशिता मजुमदार की मुख्य भूमिकाओं वाली इस फिल्म को दर्शकों का अच्छा रिस्पांस मिला।
शहीद भगत सिंह (1963)

शम्मी कपूर शहीद भगत सिंह के किरदार में (फाइल फोटो)
साठ के दशक में शहीद भगत सिंह पर एक और फिल्म सामने आई। निर्देशक के.एन. बंसल की इस फिल्म में पर्दे पर भगत सिंह को साकार किया शम्मी कपूर ने। उस वक्त तक शम्मी कपूर जंगली, तुमसा नहीं देखा सरीखी फिल्मों के जरिए अपनी विशिष्ट इमेज में बंध चुके थे। कोई उन्हें भगत सिंह की भूमिका में सोच भी नहीं सकता था। लेकिन शम्मी कपूर ने इसे चुनौती के रूप में लिया। सिर्फ मेकअप के स्तर पर नहीं अपितु इस भूमिका को साकार करने के लिए अपने हावभावों में भी बदलाव किया। शम्मी कपूर के अलावा इस फिल्म में शकीला, प्रेमनाथ, उल्हास और अचला सचदेव की अहम भूमिकाएं थीं।
भगत सिंह के जीवन से जुड़े प्रसंगों को जीवंत करती फिल्म शहीद (1965)

एस राम शर्मा की फिल्म में भगत सिंह की भूमिका में मनोज कुमार (फाइल फोटो)
शहीद भगत सिंह के जीवन और उनकी विचारधारा को पर्दे पर पेश करने का पहला गंभीर प्रयास सही मायनों में फिल्म शहीद में हुआ। यह शोधकार्य का ही नतीजा था कि भगत सिंह के जीवन से जुड़े प्रसंग ही जीवंत नहीं हुए बल्कि दर्शक उनके जीवन दर्शन और विचारधारा से भी गहराई से परिचित हुए। एस राम शर्मा निर्देशित इस फिल्म में भगत सिंह की भूमिका में मनोज कुमार इस कदर रमे कि उनका अभिनय बाद के वर्षों में भगत सिंह की भूमिका निभाने वाले कलाकारों के लिए मानक बन गया। सुखदेव की भूमिका में प्रेम चोपड़ा और चंद्रशेखर आजाद की भूमिका में मनमोहन उन दिनों फिल्मों में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहे थे। बाद के वर्षों में इन दोनों ने कई फिल्मों में खलनायक की भूमिकाएं निभाईं, लेकिन इस फिल्म में उनका अभिनय कमतर नहीं था। डाकू केहर सिंह के काल्पनिक चरित्र में प्राण का अभिनय भी दिल को छूने वाला था। हालांकि लोगों को लगता है कि उपकार के मलंग बाबा ने प्राण को खलनायक की इमेज से मुक्त किया, लेकिन सही मायनो में इसकी शुरुआत शहीद फिल्म से हो चुकी थी। प्रेम धवन के संगीत से सजी इस फिल्म के कई गीत ऐ वतन ऐ वतन हमको तेरी कसम…, सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.. और मेरा रंग दे बसंती चोला.. आज भी बजता है तो देश के लिए मर-मिटने की भावनाएं प्रबल हो जाती हैं।
द लीजेंड ऑफ भगत सिंह (2002)

राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी फिल्म में भगत सिंह के रूप में अजय देवगन (फाइल फोटो)
भगत सिंह के जीवन पर तीन फिल्में एक साथ वर्ष 2002 में प्रदर्शित हुईं। बाकी दोनों फिल्मों के मुकाबले ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ को लोगों ने ज्यादा पसंद किया। राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भगत सिंह के रूप में सामने आये अजय देवगन। हालांकि भगत सिंह को जीवंत करने का उन्होंने प्रयास तो अच्छा किया, लेकिन मनोज कुमार से बड़ी लकीर नहीं खींच पाये। जोश पैदा करने वाले संवाद और गीतों खासतौर से पगड़ी संभाल जट्टा…का फिल्मांकन फिल्म की खासियत रहे।
23 मार्च 1931 शहीद (2002)

बॉबी देओल ने गुड्डु धनोआ के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भगत सिंह की भूमिका में (फाइल फोटो)
एक्शन फिल्मों के निर्देशक गुड्डु धनोआ के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भगत सिंह की भूमिका निभाई बॉबी देओल ने और सनी देओल बने चंद्रशेखर आजाद। भगत सिंह के रूप में बॉबी देओल कुछ खास प्रभावित नहीं कर पाये। हां, चन्द्रशेखर आजाद के रूप में सनी देओल ने जरूर कुछ दृश्यों में प्रभावित किया। कुछ एक्शन दृश्य बेशक फिल्म की खासियत रहे।
शहीद-ए-आजम (2002)

सोनू सूद शहीद-ए-आजम की भूमिका में (फाइल फोटो)
सोनू सूद की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म रिलीज के मामले में जरूर दोनों फिल्मों के मुकाबले पहले प्रदर्शित होने में कामयाब रही। पर, बॉक्स आफिस पर कोई कमाल नहीं दिखा पाई।
