विश्व की हर सेना में ऐसे युवा सैनिकों की तादाद ज्यादा होती है, जो न सिर्फ घर से दूर रहते हैं बल्कि उनका ओहदा और शिक्षा दोनों कम होते हैं। इनमें बड़ी संख्या में सैनिक शराब और अन्य मादक पदार्थों का प्रयोग ज्यादा करते हैं। शराब और ड्रग्स के प्रभाव में सैनिक सेक्स वर्कर्स से या फिर कई अन्य तरीकों से यौन सम्बंध बनाते हैं। इससे उन्हें यौन संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
एक आंकड़े के मुताबिक, 1978 में अमेरिकन आर्मी में 1000 में से 98 सैनिक यौन संक्रमण की चपेट में थे। वहीं 1938-78 के बीच भारतीय सैनिकों में यौन संक्रामक रोग घटकर 2.12 प्रति 1000 सैनिक रह गया जोकि सन् 1895 में 5.22 प्रति 1000 सैनिक था।
भारतीय सेना में दूसरे देशों की सेनाओं के मुकाबले यौन संक्रमण रोगी कम होते हैं। भारतीय सेना में संक्रामक रोगी तुलनात्मक रूप से कम पाए जाने की कई अहम वजह हैं। बेहतर प्रबंध और अनुशासन के साथ-साथ धार्मिक आस्था भी उन्हें संक्रमण से बचाती है। इसके साथ ही सामाजिक लांछन लगने का डर भारतीय सैनिकों को यौन सम्पर्क बनाने से दूर रखता है। वहीं सेना पुलिस भी सैनिकों की गतिविधियों पर नज़र रख उन्हें बहकने से बचाती है।
सेना पुलिस शराब और अन्य मादक पदार्थो के प्रयोग को भी नियंत्रित रखती है और देशभक्ति के जज्बे को बढा मानसिक और धार्मिक रूप से सैनिकों के उत्साह को भी बनाए रखती है। इसके अलावा समय-समय पर मेडिकल चेकअप भी किये जाते हैं। बेहतर जागरूकता और कोशिशों के कारण ही ये संभव हो पाया।
