नई दिल्ली: प्रसूति प्रसुविधा संशोधन विधेयक 2016 पर विचार करने के बाद इसे लोकसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया। राज्यसभा में इसे पहले ही पारित किया जा चुका है। भारत में कामकाजी महिलाओं की मैटरनिटी लीव को 12 हफ़्ते से बढ़ाकर 26 हफ़्ते किए जाने के प्रस्ताव को संसद ने मंज़ूरी दे दी है। गुरुवार को लोकसभा ने इस विधेयक को पारित कर दिया। इस विधेयक को राज्यसभा में पहले ही पास किया जा चुका है। इससे संगठित क्षेत्रों में काम करने वाली करीब 18 लाख महिलाओं को फ़ायदा मिलेगा।
श्रम एवं रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने प्रसूति प्रसुविधा (संशोधन) विधेयक 2016 पर हुई चर्चा के जवाब में कहा कि कामकाजी महिलाओं की आवश्यकताओं को देखते हुए इसमें यह प्रावधान किया गया है। उनके जवाब के बाद उच्च सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक में मातृत्व अवकाश की अधिकतम अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह किए जाने का प्रावधान किया गया है ताकि माताएं अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कर सकें।
मंत्री ने कहा कि मातृत्व अवकाश के बारे में भारत का दुनिया में तीसरा स्थान है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका में 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है। मेक्सिको में 15, स्पेन में 16, फ्रांस में 16, ब्रिटेन में 20, नॉर्वे में 44 और कनाडा में 50 सप्ताह का मातृत्व अवकाश दिया जाता है।
मैटरनिटी बेनिफ़िट (संशोधित) 2016 की मुख्य बातें
- पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव मिल सकेगी, जो पहले 12 हफ्ते थी।
- तीसरे या इससे ज्यादा बच्चों के लिए 12 हफ्ते की छुट्टी का ही प्रावधान रहेगा।
- तीन महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली या सेरोगेट माँओं को भी 12 हफ़्ते की छुट्टी दी जाएगी।
- 50 से ज़्यादा कर्मचारियों वाले दफ्तर के आसपास क्रेच का इंतज़ाम करना होना, जहां माएं काम के घंटों के दौरान चार बार अपने बच्चे से मिलने जा सकेंगी।
- अगर संभव हो तो कंपनी महिलाओं को घर से ही काम करने की अनुमति दे सकती है।
- हर प्रतिष्ठान को उनकी नियुक्ति के समय से महिलाओं को इन लाभों को देना होगा।
आपको बता दें कि, अगस्त 2016 में राज्य सभा में बिल पास होने के बाद केंद्रीय श्रम और रोज़गार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने बताया था कि बिल के कानून बनने के बाद गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली छुट्टी के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगा।
कनाडा-नार्वे के बाद भारत का नंबर
भारत से ज्यादा छुट्टी सिर्फ कनाडा और नॉर्वे में दी जाती है। कनाडा में 50 हफ्ते और नॉर्वे में 44 हफ्ते का अवकाश मिलता है।
