करनाल। अपने जीवन की गलतियों को जब कभी दुरुस्त करके नई शुरुआत करना चाहे तो इंसान कर सकता है। कुछ ऐसा ही सोचने पर हर कोई तब मजबूर होता है जब उसे उन सलाखों के पीछे से सुर और ताल के संगम की कहानी का पता चलता है। गीत-संगीत का ये संगम सलाखों के पीछे होना हैरत पैदा करता है। ये सलाखें हैं उस करनाल जेल की जहाँ अलग-अलग अपराधों के सिलसिले में बंधक बनाए गए लोग कैद हैं। ये कवायद जेल के कैदियों का म्यूजिक बैंड बनाने की है।
बैंड के लिए 50 कैदियों को छांटा गया है। उन्हें गीत-संगीत की मोटी-मोटी जानकारी दी गई है। और इसी की बदौलत कई तो मंजे हुए कलाकार की तरह गाने और साज बजाने लगे हैं। मजे की बात है कि सिखाने वाले भी कोई और नहीं, यहीं बंद कैदी ही है। इनमें पेशेवर संगीत अध्यापक, साउंड मास्टर और गायक मिलकर कलाकार तैयार कर रहे हैं। एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी इन्हें अलग-अलग तरह के वाद्ययंत्र बजाने की ट्रेनिंग दे रहा है। कुछ को तो सीखने में 20 दिन ही लगे। कारागार महानिदेशक यशपाल सिंघल के मुताबिक़ उन्होंने वाद्ययंत्रों का बंदोबस्त कराया है। जेल अधीक्षक शेर सिंह का कहना है कि शुरुआत में 15 सदस्यों का बैंड बनाया गया है, जिनमें 3 गायक भी हैं। इन्होंने राष्ट्रगान, जेल में सुबह की प्रार्थना और कुछ देशभक्ति गीत तैयार किए हैं। ये ग्रुप जेल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा।
