मास्को/तेहरान। अमेरिका के नए प्रतिबंधों पर रूस और ईरान की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई है। रूस ने इसे अपने खिलाफ ट्रेड वार की घोषणा बताया है तो ईरान का कहना है कि नए प्रतिबंध वर्ष 2015 में हुए ऐतिहासिक परमाणु समझौते का उल्लंघन है। गौरतलब है कि बुधवार को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस, ईरान और उत्तर कोरिया के खिलाफ नए प्रतिबंधों पर हस्ताक्षर कर दिये।
रूसी प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदव ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा कि इसने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया है। प्रतिबंधों को पूरी तरह से ट्रेड वार की घोषणा जैसा बताते हुए मेदवेदेव ने कहा है कि प्रतिबंधों पर हस्ताक्षर करना बताता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कितने लाचार हैं। बताया जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप इस पर हस्ताक्षर करने के इच्छुक नहीं थे।
पाबंदियों की वजह से रूस में व्यापार करना मुश्किल
रुसी प्रधानमंत्री ने बेहद आक्रामक अंदाज में लिखा, यह कदम बताता है कि ट्रंप प्रशासन किस तरह शक्तिहीन है। यह उम्मीद कि नए अमेरिकी प्रशासन में हमारे रिश्ते बेहतर होंगे, समाप्त हो गई है। मेदवेदेव इस कदम को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कमजोर करने की कोशिशों का हिस्सा मानते हुए कहते हैं इसका अंतिम मकसद उन्हें पद से हटाना है। माना जा रहा है कि नई पाबंदियों की वजह से अमेरिकी कंपनियों के लिए रूस में व्यापार करना बेहद मुश्किल हो गया है। बहरहाल, रूस का कहना है कि वह इन प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार है।
ईरान पर अमेरिका का प्रतिबंध लगाना
इधर ईरान ने भी नए प्रतिबंधों को गलत बताया है। ईरान के उप विदेशी मंत्री वरिष्ठ परमाणु वार्ताकार अब्बास अरागची के मुताबिक नई पाबंदियां ओबामा के कार्यकाल में हुए परमाणु समझौते का उल्लंघन है। ईरान पर अमेरिका ने जो प्रतिबंध लगाए हैं उनमें ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में शामिल लोगों को दंड देना, हथियार प्रतिबंध लागू करना आदि हैं। ईरान ने कहा है कि वह अमेरिकी प्रतिबंधों का जवाब देने के लिए कई कदम उठाएगा।
