नई दिल्ली। कोविड-19 वायरस के खिलाफ जंग लड़ रहा विश्व समुदाय अब जंग में इस्तेमाल की जाने वाली औषधियों के लिये खींचातानी करने लगा है। दुनिया भर में 70 हजार से अधिक मौतों का सामना कर चुकी पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से निपटने के लिये दवाओं और चिकित्सा सामग्री की भारी कमी महसूस की जा रही है और कई देशों को इनकी आपात सप्लाई की जरूरत है।
जहां एक ओर रिपोर्ट आई कि जर्मनी के लिये भेजी जा रही कुछ चिकित्सा सामग्री को अमेरिका ने बीच रास्ते में ही रोककर अमेरिका की ओर निर्देशित कर दिया वहीं इस आशय की रिपोर्ट आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को चेतावनी दी है कि यदि मलेरिया की बीमारी में काम आने वाली दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) की सप्लाई अमेरिका को नहीं की तो वह भारत के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करेगा। गौरतलब है कि मलेरिया की दवा का इस्तेमाल अमेरिका में कोरोना वायरस से भी निपटने के लिये किया जा रहा है।
इस चेतावनी के बाद भारत ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की गम्भीरता को देखते हुए सरकार ने यह तय किया है कि भारत पड़ोसी देशों के अलावा उन कुछ चुनिंदा देशों को भी पारासेटेमाल और एचसीक्यू दवाओं की सप्लाई करेगा जिन्हें इसकी सख्त जरुरत है।
इस बारे में स्पष्ट्रीकरण देते हुए यहां विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि जो देश कोविड-19 महामारी से गम्भीर तौर पर ग्रस्त हैं उन्हें हम इन जरूरी दवाओं की सप्लाई करेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि इस मसले को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिये।
प्रवक्ता ने कहा कि कोविड-19 के इलाज से जुड़ी कुछ दवाओं को लेकर मीडिया में गैरजरूरी टिप्पणियां की जा रही हैं । किसी भी जिम्मेदार देश के नाते हमारी पहली प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि अपनी घरेलू जरुरतों को पूरा करने के लिये देश में समुचित भंडार रहे। इसके लिये कुछ दवाओं के निर्यात पर रोक लगाने का फैसला किया गया था। यह सुनिश्चित करने के बाद कि देश में घरेलू जरुरतों को पूरा करने के लिये समुचित भंडार है सरकार ने कुछ विशेष जरूरतमंद देशों को इनके निर्यात की अनुमति दी गई है।
