नई दिल्ली। संक्रामक रोगों के खिलाफ क्षमता मजबूत करने के लिये भारत और ब्रिटेन ने साझा तौर पर 80 लाख पाउंड का कोष बनाया है। इस कोष में दोनों देशों का बराबर का हिस्सा है। इस कोष के बारे में यहां ब्रिटेन के उच्चायुक्त फिलिप बार्टन ने कहाकि ब्रिटेन भारत का दूसरा सबसे बडा शोध साझेदार है। अगले साल के अंत तक दोनों देशों के बीच 40 करोड पाउंड के साझा शोध प्रोजेकेटों पर काम चलेगा ।
कोविड-19 महाम्रारी के खिलाफ चल रहे मौजूदा विश्वव्यापी सहयोग के मद्देनजर भारत औऱ ब्रिटेन के बीच यह अहम शोध समझौता हुआ है। ब्रिटेन के दक्षिण एशियाई मामलों के मंत्री लार्ड तारिक अहमद ने कहा कि ब्रिटेन और भारत अपने मौजूदा स्वास्थ्य शोध सहयोग को गहरा कर रहे हैं। एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेस के लिये पांच नई साझा शोध परियोजनाएं शुरु की गई है। अहमद ने कहा कि भारत का दवा उद्योग एंटी माइक्रोबियल दवाओं का दुनिया का प्रमुख उत्पादक है।
दोनों देशों के बीच एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। लार्ड अहमद ने कहा कि कोविड के खिलाफ टीका बनाने के लिये ब्रिटेन ने पहले ही भारत के सीरम संस्थान के साथ साझेदारी की है। यदि इसके परीक्षण सफल रहे तो हम विश्व में एक अरब लोगों को ये टीके बांट सकते हैं।

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