नई दिल्ली। नीदरलैंड के हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस यानी ICJ में भारत के दलवीर सिंह भंडारी को दोबारा जज के तौर पर चुना गया है। जस्टिस दलवीर भंडारी को जनरल असेंबली में 183 वोट हासिल हुए, जबकि सुरक्षा परिषद में उन्हें कुल 15 वोट मिले। उनका कार्यकाल फरवरी 2018 में समाप्त होगा और अब वह अगले नौ वर्ष के लिए दोबारा नियुक्त किये गए हैं। पद्मभूषण से सम्मानित जस्टिस दलवीर भंडारी ने 19 जून 2012 को पहली बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के सदस्य की शपथ ली थी।
देश के लिए महत्वपूर्ण है यह जीत
जस्टिस भंडारी का मुकाबला ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड से था। पर आखिरी क्षणों में ब्रिटेन ने अपने उम्मीदवार को चुनाव से हटा लिया और ऐसा पहली बार हो रहा है जब ICJ में कोई ब्रिटिश जज नहीं होगा। भंडारी की यह जीत भारत के लिए ऐसे समय में और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है जब पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का मामला भी अंतर्राष्ट्रीय अदालत में चल रहा है। वहीं भारत की लोकतांत्रिक तरीके से हुई इस जीत ने वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थाई सदस्यों ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, और अमेरिका पर एक बार फिर से भारत का दबदबा कायम कर दिया है।
सत्तर वर्षीय भंडारी की जीत के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर खुशी जाहिर की ।
Congratulations to Justice Dalveer Bhandari on his re-election as a Judge of the ICJ. Huge efforts by Team – MEA. Syed Akbaruddin @AkbaruddinIndia our Permanent Representative in UN deserves a special mention.
— Sushma Swaraj (@SushmaSwaraj) November 21, 2017
कौन हैं दलवीर भंडारी ?
जस्टिस दलवीर भंडारी राजस्थान के जोधपुर में 1 अक्टूबर 1947 को जन्मे और जोधपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने 1973 से 1976 तक राजस्थान उच्च न्यायालय में वकालत की। इसके बाद वह दिल्ली आए और यहां वर्ष 1991 में दिल्ली उच्च न्यायालय के जज बन गए। अक्टूबर 2005 में वह मुंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। वह भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश रहे हैं।
वर्ष 2007 में वह सर्वसम्मति से इंडिया इंटरनेशनल लॉ फाउंडेशन के अध्यक्ष चुने गए। जस्टिस दलवीर भंडारी ने ‘ज्यूडीशियल रिफॉर्म्स : रीसेंट ग्लोबल ट्रेंड्स’ नाम से एक पुस्तक भी लिखी है उधर ICJ में अपने कार्यकाल के दौरान भंडारी ने 11 मामलों में अपना व्यक्तिगत निर्णय दिया।
क्या है आईसीजे ?
1945 में स्थापित आईसीजे दुनियाभर के देशों के बीच कानूनी विवादों को सुलझाने वाली एक अंतर्राष्ट्रीय अदालत है। अंतराष्ट्रीय अदालत सभी के लिए खुला है, जिसमें सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश शामिल हैं। आईसीजे में 15 जज होते हैं, जिन्हें नौ सालों के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद नियुक्त करता है। जजों की नियुक्ति उनकी राष्ट्रीयता के आधार पर न होकर उनकी योग्यता के आधार पर की जाती है। अंतर्राष्ट्रीय अदालत में दो जज एक ही देश से नहीं हो सकते।
रक्षक न्यूज की राय
सत्तर वर्षीय पदमभूषण दलवीर सिंह भंडारी का इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में बतौर न्यायाधीश पद पर चुना जाना वर्तमान हालात में महत्वपूर्ण इसलिए है कि पाकिस्तान में बंद कुलभूषण जाधव का मामला भी इसी अदालत में चल रहा है । साथ ही भारत का दबदबा उन स्थाई सदस्यों पर भी बरकरार रहेगा जिन देशों के पास वीटो की शक्ति है। भारत समेत पूरी दुनिया में इसे उदात्त लोकतांत्रिक परम्परा के रूप में महसूस किया जाएगा।
