चीन को हर मोर्चे पर मुंह की खानी पड़ रही है। अब उसे बोत्सवाना से खरी-खरी सुननी पड़ रही है। शब्द भी ऐसे कि चीन ने कभी उम्मीद भी नहीं की होगी। बोत्सवाना के राष्ट्रपति इयान खामा ने बोत्सवाना गार्जियन के साथ एक विशेष साक्षात्कार में कहा, बोत्सवाना के राष्ट्रपति आपको बताना चाहते हैं कि वह चीन की धमकियों में नहीं आने वाले। उनका देश चीन की कॉलोनी नहीं है।

बोत्सवाना के राष्ट्रपति इयान खामा (फाइल फोटो)
चीन के मुकाबले बोत्सवाना कहीं भी नहीं ठहरता। बोत्सवाना की आबादी बीस लाख भी नहीं है। ऐसी क्या वजह हुई कि बोत्सवाना को चीन के लिए इतने कठोर शब्दों का इस्तेमाल करना पड़ा। दरअसल हीरों की खानों के लिए मशहूर इस छोटे से दक्षिण अफ्रीकी देश को अपने आंतरिक मामलों में चीन का दखल अच्छा नहीं लगा। बौद्ध धर्म के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा का 17 से 19 अगस्त तक बोत्सवाना की राजधानी में एक कार्यक्रम था। आध्यात्मिकता, विज्ञान औऱ मानवता पर उनके प्रवचन होने थे। चीन ने इस दौरे का विरोध करते हुए राजनीतिक और कूटनीतिक परिणाम झेलने की धमकी दी थी।
बोत्सवाना गार्जियन को दिए साक्षात्कार में राष्ट्रपति इयान खामा ने बताया, चीन ने अपना राजदूत वापस बुलाने से लेकर दूसरे अफ्रीकी देशों की सहायता से बोत्सवाना को अलग-थलग करने की धमकी दी।
हालांकि स्वास्थ्य कारणों से डॉक्टरों की सलाह पर दलाई लामा ने अपना दौरा रद्द कर दिया लेकिन बोत्सवाना ने अपना रूख साफ कर दिया। राष्ट्रपति इयान खामा ने उम्मीद जताई कि दलाई लामा का स्वास्थ्य जल्द अच्छा होगा। राष्ट्रपति खामा ने कहा, स्वस्थ होने के बाद उनका (दलाई लामा) बोत्सवाना में स्वागत है, वे यहां आएं और घुमें।
