अफ्रीकी देश घाना ने भी अंतरिक्ष में अपना उपग्रह स्थापित कर दिया है। घानासैट-1 का प्रक्षेपण नासा के स्पेस स्टेशन से किया गया है, पर वहाँ भविष्य में भारत के लिए भी अच्छा बाजार बनेगा। घाना के ऑल नेशंस विश्वविद्यालय (एएनयू) के छात्रों ने 1 किलोग्राम के वज़न वाले इस उपग्रह को खुद बनाया है। यह उपग्रह अब पृथ्वी की कक्षा में 400 किलोमीटर दूर परिक्रमा कर रहा है। यह उपग्रह घाना के समुद्र तट पर निगाहें रखेगा।
इसरो ने फरवरी में एकसाथ 104 उपग्रहों का प्रक्षेपण करके इस तरह के छोटे उपग्रहों के प्रक्षेपण के बाजार में कदम रखे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि घाना सहित दूसरे विकासशील देशों में उपग्रह प्रक्षेपण का नया बाजार विकसित हो रहा है। इसरो से प्रक्षेपण कराना काफी सस्ता पड़ेगा। घाना में पांच लाख डॉलर की इस परियोजना को सन 2015 में शुरू किया गया था। इसके लिए जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने सहायता दी थी। एएनयू की स्पेस सिस्टम लैबोरेटरी के डायरेक्टर रिचर्ड दामोआह ने बताया कि इस प्रक्षेपण से हमें यह सीखने में मदद मिलेगी कि हम किस काम के लिए उपग्रहों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
घाना अब घानासैट-2 को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर रहा है। उसमें ज्यादा उपकरण और बेहतर कैमरे होंगे। यह उपग्रह देश की जल-संपदा के बारे में जानकारियां देगा।
