नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के लिये 36 राफेल लड़ाकू विमानों के सौदे में अनियमितता के आरोपों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किये जाने के बाद सरकार में खुशी की लहर है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि जिन तीन मुद्दों को लेकर राफेल सौदे की आलोचना की जा रही थी उनसे सुप्रीम कोर्ट ने किनारा कर लिया है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर 36 राफेल विमानों की आपात खरीद की गई और इसके अलावा 110 लड़ाकू विमानों की खरीद की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की प्रक्रिया को सही बताते हुए इसकी कीमत और आफसेट साझेदार के चयन को भी सही ठहराया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साझा तौर पर शुक्रवार शाम को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि झूठ और सच के बीच हमेशा से ही मौलिक भेद रहा है। सच्चाई हमेशा साथ रहती है जब कि झुठ बिखर जाता है। झूठ का सीमित जीवन होता है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने झूठ बोलने वाले की विश्वसनीयता खत्म कर दी है। वित्त मंत्री ने कहा कि झूठ बोलने वाला परिवार यह सोचता था कि वह सुप्रीम कोर्ट से ऊपर है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने यह बता दिया है कि झूठ कभी भी नहीं टिकता.।
जेटली ने दावा किया कि 2012 में राफेल सौदा जिन शर्तों पर तय हुआ था उससे बेहतर शर्तों पर 2015 में सौदा तय किया गया। गौरतलब है कि 36 राफेल विमानों का सौदा 7.87 अरब यूरो में सम्पन्न हुआ जिसे लेकर आरोप लगाया गया कि यूपीए सरकार से किये गए सौदे की तुलना में यह तीन गुना अधिक है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि राफेल सौदे के लिये रक्षा खरीद परिषद और कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी के पहले सौदा समझौता समिति की सभी प्रक्रियाएं पूरी की गईं। जेटली ने कहा कि राफेल सौदे को लेकर केवल राजनीतिज्ञ ही आरोप नहीं लगा रहे थे बल्कि वे लोग भी समीक्षाएं लिख रहे थे जिनके हितों के टकराव थे।
जेटली ने पूछा कि लड़ाकू विमान की भारी जरूरत महसूस की जा रही थी और जिन लोगों ने साल 2012 में यह समझौता नहीं किया उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया । बाद में जब एनडीए के शासनकाल में यह समझौता हुआ तब सभी तरह के काल्पनिक आकड़े पेश किये गए। कहा गया कि डीएसी की कोई बैठक नहीं हुई, कैबिनेट समिति की कोई बैठक नहीं हुई- आदि आदि। जेटली ने कहा कि इस सौदे को लेकर सरकार ने कभी कुछ नहीं छुपाया।
जहां तक आफसेट का सवाल है यह मूल निर्मता तय करता है कि आफेसट समझौता किसके साथ करना है। वास्तव में राफेल समझौता से भारत के सुरक्षा हितों की रक्षा हुई। राफेल सौदा जो अंतिम तौर पर तय हुआ वह केवल विमान और हथियारों से लदे विमान दोनों के मामले में पहले से सस्ता था।
