नई दिल्ली। तीन साल बाद भारतीय वायुसेना अपनी रक्षात्मक और आक्रामक ताकत का प्रदर्शन 16 फरवरी को फिर दुनिया के सामने करेगी। हर तीन साल पर राजस्थान के पोकऱण रेगिस्तान के इलाके में होने वाले वायुसैनिक अभ्यास ‘वायुशक्ति- 2019’ के दौरान भारतीय वायुसेना अपने 138 लड़ाकू, टोही और परिवहन विमानों के बेड़े की समन्वित तैनाती करेगी और अपनी रक्षात्मक और आक्रामक क्षमता का सघन परीक्षण करेगी।
इस वृहद अभ्यास के बारे में जानकारी देते हुए वायुसेना के वाइस चीफ एयर मार्शल अनिल खोसला ने कहा कि वायुशक्ति अभ्यास के जरिये वायुसेना अपनी विभिन्न क्षमताओं का परीक्षण करेगी। वायुशक्ति अभ्यास में भारतीय वायुसेना के चुनिंदा अग्रणी लड़ाकू विमान सुखोई- 30 एमकेआई, मिराज- 2000, मिग- 21 बाइसन, लाइट कम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस, मिग- 27 , जगुआर विमान उतारे जाएंगे । चूंकि भविष्य का कोई भी युद्ध सधन सूचना माहौल में लड़ा जाएगा इसलिये नेटसेंट्रिक माहौल में अपने लड़ाकू विमानों के टोही विमानों के साथ तालमेल कर दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले की रणनीति को परखा जाएगा।
भारतीय वायुसेना के पास दो किस्म के टोही विमान अवाक्स और एईडब्ल्यू एंड सी (AEW&C) हैं जिनमें से अवाक्स को पोकरण के बाहरी इलाके में उड़ाकर अपने विमानों के साथ तालमेल बैठाया जाएगा जब कि एम्ब्रेयर विमान पर तैनाती टोही विमान(एईडब्ल्यू एंड सी) को जैसलमेर के इलाके में उड़ाया जाएगा। इस दौरान बहुद्द्श्यीय लड़ाकू विमान सुखोई- 30 एमकेआई, मिराज- 2000 और लाइट कम्बैट एयरक्राफ्ट अपनी रक्षात्मक और हमलावर क्षमता का हुनर दिखाएंगे। अभ्यास के दौरान वायुसेना के अत्याधुनिक परिवहन विमान सी- 130 जे हर्कुलस, सी- 17 ग्लोबमास्टर के साथ पुराने रूसी एएन- 32 विमानों को भी विभिन्न भूमिका में उड़ाया जाएगा।
इस अभ्यास को भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा तीनों सेनाओं के आला अधिकारी और विदेशी रक्षा अताशे भी देखेंगे। विदेशी रक्षा अताशे को अभ्यास स्थल पर ले जाने के लिये वायुसेना ने विशेष व्यवस्था की है। विदेशी रक्षा राजनयिकों को वायुशक्ति दिखाकर भारतीय वायुसेना यह संदेश दुनिया को देगी कि वह अपनी हवाई आक्रमण क्षमता में कितनी सिद्ध हो चुकी है।
अभ्यास के दौरान देश में ही बनी आकाश मिसाइल प्रणाली की क्षमता भी परखी जाएगी। यह मिसाइल जमीन से आसमान में 25 किलोमीटर दूर तक किसी हमलावर विमान को नष्ट कर सकती है। इसके अलावा देश में ही विकसित तेजस लड़ाकू विमानों की क्षमता भी अभ्यास के दौरान युद्ध माहौल में परखी जाएगी।
वाय़ुशक्ति अभ्यास 1953 से ही दिल्ली के निकट तिलपत रेंज पर आयोजित होता रहा है लेकिन साल 1989 से इसे जैसलमेर के निकट पोकरण के इलाके में ले जाया गया। पिछला वायुशक्ति अभ्यास 2016 में हुआ था। वायुशक्ति- 19 में भाग लेने वाले लड़ाकू विमान और परिवहन विमान व हेलिकॉप्टर जैसलमेर, जोधपुर , उत्तरलाई, फालोदी, हिंडन और आगरा से उड़ान भरेंगे।
