स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी खांदेरी आधुनिक फीचर्स से लैस है। यह दुश्मन की नजरों से बचकर सटीक निशाना लगा सकती है। इसके साथ ही टॉरपीडो और एंटीशिप मिसाइलों से हमला भी कर सकती है। किसी भी अत्याधुनिक सबमरीन की तरह ही इससे कई तरह के मिशनों जैसे कि एंटी सरफेस और एंटी सबमरीन, खुफिया सूचनाएं जुटाना, माइन बिछाना, इलाके की निगरानी को अंजाम दिया जा सकता है।
स्कॉर्पीन सीरीज की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को अप्रैल 2015 में लॉन्च किया गया था। इसका ट्रायल अभी जारी है। उम्मीद है कि आईएनएस कलवरी जून तक नेवी के बेड़े का हिस्सा बन जाएगी। जबकि आईएनएस खंडेरी का ट्रायल दिसंबर 2017 तक चलेगा।
पनडुब्बी खांदेरी से जुड़ी खास बातें-
- खांदेरी अत्याधुनिक तकनीक से लैस है और इसे जल और स्थल दोनों जगह से लॉन्च किया जा सकता है। यानि खांदेरी पानी के भीतर से भी दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में सक्षम है। दुश्मन चाहे कितनी भी कोशिश कर ले वो पनडुब्बी खांदेरी की चाल को नहीं जान पाएंगे, यानि रडार भी खांदेरी को डिटेक्ट नहीं कर पाएगा।
- बनावट के लिहाज से खांदेरी का ढांचा बेहद ही जटिल है। इसके ढांचे को अलग-अलग सेक्शन में तैयार किया गया था। इसके अन्दर कई किलोमीटर के तार और पाइप को बहुत ही कम जगह में सेट किया गया है।
- एक खास बात और कि इस सबमरीन के अन्दर डीजल से चलने वाला इलेक्ट्रीक इंजन लगा हुआ है। जिसके कारण यह ज्यादा देर तक पानी में के भीतर चार्ज नहीं रह पाएगा। इसलिए इसे वापस सतह पर लाकर इसकी बैटरी को खास तरह के पाइप्स के जरिए चार्ज करना पड़ेगा।
- भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से है जो पनडुब्बी का निर्माण करते हैं। खांदेरी का निर्माण भारत में किया गया है और इसे माजागोन डॉक लिमिटेड ने फ्रांस के डिफेंस ग्रुप (DCNS) के साथ मिलकर तैयार किया है।
- हर मौसम और युद्धक्षेत्र में सतह-रोधी युद्धक क्षमता, पनडुब्बी-रोधी युद्धक क्षमता, खुफिया जानकारी जुटाना, समुद्री क्षेत्र की निगरानी करना।
- भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा को 8 दिसंबर 2017 को पचास साल पूरे होंगे। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी शाखा के स्थापना की याद में हर साल पनडुब्बी दिवस मनाया जाता है। 8 दिसंबर, 1967 को पहली पनडुब्बी- प्राचीन आईएनएस कलवरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
- 7 फरवरी, 1992 को पहली पनडुब्बी आईएनएस शाल्की बनाने के साथ ही भारत का नाम पनडुब्बी बनाने वाले देशों के फेहरिस्तों में शामिल हो गया था।
- पनडुब्बी को मराठा लड़ाकों के किले वाले टापू खांदेरी का नाम दिया गया, जिन्होंने 17वीं शताब्दी के दौरान समुद्र पर अपना कब्जा कायम रखने में अहम भूमिका निभाई थी।

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