नई दिल्ली। भारत की लम्बे समय तक लंबी दूरी की समुद्री निगरानी करने वाला ‘अल्बाट्रॉस’ विमान इस महीने के बाद नहीं उड़ पाएगा। सोवियत युग के इस चार इंजन वाले टर्बोप्रॉप ट्यूपेलोव -142 (TU-142) के विमान में करीब 12,000 किमी या 16 घंटों तक उड़ान भरने की क्षमता है।
सूत्रों ने पुष्टि की कि नौसेना में इसकी दौड़ अब खत्म हो जाएगी। नेवी को यह 1980 के दशक में शीत युद्ध (1945-1991) के दौरान मिला था, ये शक्तिशाली एंटी-पनडुब्बी युद्ध (एएसडब्ल्यू) प्लेटफार्म है। शीत युद्ध के दौरान भारत को सोवियत संघ के साथ माना जाता था और विमान को एक विशेष नजर रखने वाले मैग्नेटोमीटर के साथ बनाया गया था जिसका उद्देश्य कम-शोर, परमाणु शक्ति वाले पनडुब्बियों का पता लगाना था। TU-142 विमान 12 टारपीडो और फ्रीफ्लो बम ले जा सकता है।

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