जानी..! ये कमांडो पत्ते के हिलने से पहले पेड़ काट डालते हैं।…ये फ़िल्मी डायलॉग शायद आपने भी सुना ही होगा, मगर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) कमांडो की आती है तो यकीन मानिए उनकी फुर्ती आपको हैरान कर देगी। यहां हम बताने जा रहे हैं NSG कमांडो की ट्रेनिंग और कुछ ऐसी खासियतों के बारे में जिसे सुनकर आप दांतों तले अंगुलियां दबा लेंगे।
कदमताल करते राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड के जवान
NSG कमांडो को एक मशीन की तरह आचूक निशाना लगाने के लिए कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान सिर्फ ‘हेड शॉट’ यानी सिर को ही निशाना बनाया जाता है। सिर पर निशाना लगाने के साथ-साथ ये भी सुनिश्चित किया जाता है कि पहले दुश्मन के सिर से होती हुई गोली दूसरे दुश्मन को भी अपनी जद में ले सके।

ट्रेनिंग के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (फाइल फोटो)
NSG कमांडो अचूक निशाना लगाने में होते हैं महारथी
NSG कमांडो के अचूक निशाने का प्रशिक्षण तब और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है जब निशाने के ठीक बराबर में उनके किसी दूसरे साथी को खड़ा कर दिया जाता है और वो भी बिना बुलेट प्रूफ जैकेट। हद से ज्यादा दबाव की स्थिति में भी सटीक निशाना लगाने का प्रशिक्षण दिया जाता है,…लेकिन ज़रा सी चूक भी जानलेवा साबित हो सकती है। एक दूसरे पर अटूट विश्वास ही इन कमांडो का बड़ा हथियार होता है।

काफी मुश्किल भरा होता है इन कमांडो की ट्रेनिंग (फाइल फोटो)
‘अलर्ट स्टेटस’ के दौरान एक NSG कमांडो महज दो महीने में तक़रीबन 14,000 राउंड तक फायर करता है। अलर्ट स्टेटस के एक हफ्ते में ही एक कमांडो इतने राउंड फायर कर लेता है जितने कि उसने अपनी सेना में बिताए समय में भी ना किया हो। उनकी आचूक प्रतिक्रिया पर खास ध्यान दिया जाता है, जिससे वो दुश्मन को पलक झपकते ही ढेर कर दे।NSG में रहने के नियमों में से एक नियम ये भी है… कि कमांडो का स्ट्राइक रेट यानी सटीक निशाने का औसत 85 फीसदी से कम ना हो। अगर सीधे तौर पर कहे तो 100 में से 85 निशाने सटीक लक्ष्य पर लगाना एक कमांडो के लिए न्यूनतम मापदंड है और जो इन मापदंडों पर खरा नहीं उतरता उसे NSG में शामिल नहीं किया जाता।
जो इनके मापदंडों पर खरा नहीं उतरता उसे NSG में शामिल नहीं किया जाता

NSG कमांडो की स्पेशल ट्रेनिंग (फाइल फोटो)
NSG कमांडो को हर तरह की ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें मार्शल आर्ट भी शामिल होती है। इन कमांडो को सिखाया जाता है कि जब दुश्मन अचानक आप पर हमला कर दें तो कैसे उन पर हावी हुआ जाता है। सिर्फ बन्दूक ही नहीं एक NSG कमांडो ‘हैण्ड टू हैण्ड कॉमबैट’ यानी आमने-सामने की लड़ाई में भी पूरी तरह निपुण होता है। ‘मार्शल आर्ट ट्रेनिंग’ से कमांडो को इस तरह तैयार किया जाता है ताकि ज़रूरत पड़ने पर वो बिजली की रफ़्तार से देखते ही देखते दुश्मन को मौत के घाट उतार दे।
कमांडो ट्रेनिंग के दौरान काफी अहम है अनुशासन

एनएसजी (फाइल-फोटो)
कमांडोज को ट्रेनिंग के दौरान अच्छे व्यवहार की भी सीख दी जाती है। इन कमांडोज पर सीनियर्स हर वक्त नजर रखते हैं। किसी तरह की अनुशासन में कमी पाय जाने पर फटकार भी लगती है।
