नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के सामने रूस में बने 45 मिग-29K फाइटर विमानों के रख-रखाव की समस्या खड़ी हो रही है। देश के विमानवाहक आईएनएस विक्रमादित्य पर ये विमान तैनात हैं। नौसेना चाहती है कि इन विमानों की खामियों को दूर करके इन्हें सुदृढ़ किया जाए। विमानवाहक पोत पर इनकी हार्ड लैंडिंग होती है, जिसके कारण इनके रख-रखाव की समस्या खड़ी होती है।
रक्षा मामलों से जुड़ी वैबसाइट डिफेंस न्यूज ने एक नौसैनिक अधिकारी को उधृत करते हुए लिखा है कि 2004 और 2012 में मिग-29 के विमानों की खरीद के वक्त नौसेना ने विमानों के रख-रखाव के ऑटोमेटिक समझौते नहीं किए थे। अब हम इस मामले में पूरी तरह रूस पर आश्रित हैं। रक्षा मंत्रालय ने इस मामले को रूस के साथ उठाया है। रूस से कई बार टीमें आईं हैं, पर समाधान नहीं निकला।
नौसेना के पूर्व अध्यक्ष एडमिरल अरुण प्रकाश का कहना है कि सच यह है कि इस विमान के विकास का पूरा खर्च वस्तुतः भारत ने दिया है। रूसी नौसेना अब इसे अपने यहाँ शामिल कर रही है। नैतिकता का तकाजा है कि इसमें कोई खामी है, तो उसे सुधारने की जिम्मेदारी रूस पर है। इस विमान में कई तरह की ऑपरेशनल खामियाँ सामने आ रहीं हैं, जैसे इंजन, एयरफ्रेम और फ्लाई-बाई-वायर सिस्टम।
