जयपुर। राजस्थान के दो गांवों को दुश्मन के मिसाइल हमले को रोकने वाले रेडारों की तैनाती के लिए चुना गया है। यहां रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) अपने रेडारों को लगाएगा। ये रेडार देश के बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस ग्रिड का हिस्सा होंगे। यह बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस ग्रिड दिल्ली और मुम्बई की रक्षा करेगा।
अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक इन दो जगहों का चयन काफी जांच-पड़ताल और इनके स्टैल्थ फीचर्स को ध्यान में रखने के बाद किया गया है। यहाँ बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) सिस्टम बहुत कम नोटिस पर लगाया जा सकता है। शत्रु के हमलों का सामना करने के लिए डीआरडीओ जवाबी मिसाइलों की तैनाती करेगा, जो दुश्मन की मिसाइलों को पृथ्वी के वायुमंडल में (एंडो-एटमॉस्फेरिक) और उसके भी ऊपर (एक्ज़ो-एटमॉस्फेरिक) मारकर गिरा सकेंगी। यानी करीब 2,000 किलोमीटर दूर से आती मिसाइल को गिराया जा सकता है। इस शील्ड का डीआरडीओ ने कई बार परीक्षण करके देख लिया है। इस बीएमडी सिस्टम की ज्यादातर प्रणालियां ऑटोमेटिक काम करेंगी यानी इनमें मानवीय हस्तक्षेप कम से कम होगा।
राजस्थान के वन विभाग ने एक गाँव में 850 हेक्टेयर जमीन और दूसरे गांव में 350 हेक्टेयर जमीन इसके लिए अलग कर दी है। ये रेडार देश की मिसाइल रक्षा ग्रिड का अंग होंगे और भारत के पश्चिमी और उत्तरी आकाश की निगरानी का काम करेंगे।
सन 2014 में केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने डीआरडीएल के प्रस्ताव को स्वीकार किया था। राजस्थान सरकार के अतिरिक्त प्रिंसिपल कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट एके सिंह के अनुसार केंद्रीय मंत्रालय की स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार ने डीआरडीओ को भूमि आवंटित कर दी है।
