नई दिल्ली: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बुधवार को एक और इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इससे पहले फरवरी महीने में भी इसी तरह की मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया था। यह परीक्षण ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से किया गया। पिछले माह पीडीवी इंटरसेप्टर और दो स्टेज वाली टार्गेट मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।
क्या है इंटरसेप्टर
- इंटरसेप्टर मिसाइल ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से हवा में ही बैलिस्टिक मिसाइल को नष्ट किया जा सकता है
- इंटरसेप्टर 7.5 मीटर लंबा मजबूत रॉकेट है जो नौवहन प्रणाली, हाईटेक कंप्यूटर और इलेक्ट्रो-मैकेनिकल एक्टिवेटर की मदद से गाइडेड मिसाइल से संचालित होता है
कैसे शत्रु के मिसाइल की होती है पहचान
- रडार आधारित प्रणाली से शत्रु की बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान की जाती है
- फिर रडार से मिले आंकड़ों की मदद से कंप्यूटर नेटवर्क पर आ रही बैलिस्टिक मिसाइल का रास्ता पता लगाता है।
- कंप्यूटर सिस्टम से जरूरी निर्देश मिलते ही इंटरसेप्टर को टार्गेट भेदने के लिए छोड़ दिया जाता है।
- नतीजा, शत्रु की मिसाइल हवा में ही नष्ट हो जाती है।
इससे पहले भी हो चुका है टेस्ट
पिछले वर्ष भी पूरी तरह से मल्टीलेवल बैलेस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम हासिल करने के प्रयास के तहत भारत ने स्वदेशी सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। उस समय कुछ इसी तरह के परीक्षण में इंटरसेप्टर के लिए पृथ्वी मिसाइल के नेवल एडिशन को टार्गेट के तौर पर स्थापित किया गया था। इस लक्ष्य को बंगाल की खाड़ी में खड़े पोत से छोड़ा गया था और इंटरसेप्टर एडवांस्ड एयर डिफेंस (एएडी) मिसाइल ने लक्ष्य वाली मिसाइल को काफी ऊंचाई पर ही नष्ट कर दिया था।
प्रधानमंत्री ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा वैज्ञानिकों को इंटरसेप्टर मिसाइल के सफल परीक्षण पर बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने गुरूवार को सोशल मीडिया पर ट्वीट संदेश में कहा कि रक्षा क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल के सफल प्रदर्शन के लिए हमारे रक्षा वैज्ञानिकों को हार्दिक बधाई। इस उपलब्धि के साथ भारत इस तरह की क्षमता वाले पांच चुनिदा देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो गया है। यह पूरे देश के लिए गौरव का क्षण है।
