ताइपेई। न्यू साउथ बाउंड पॉलिसी के तहत ताइवान भारत के साथ आर्थिक औऱ रक्षा रिश्ते गहरे करना चाह रहा है। यहां ताइवान सरकार के आला नुमाइंदों ने कहा कि ताइवान की कम्पनियां भारत में स्थानातंरित होना चाहती हैं। वे न केवल भारतीय प्रतिभाओं का इस्तेमाल करना चाहती हैं बल्कि वे भारतीय प्रतिभाओं को ताइवान आमंत्रित भी करना चाहती हैं।
ताइवान की राष्ट्रीय विकास परिषद(एनडीसी) के योजना विभाग की निदेशक कोनी चांग ने एक बातचीत में कहा कि भारत से आर्थिक रिश्तों को गहरा करने के लिये ताइवान में ताइवान इंडिया एसोसियेशन की स्थापना हो चुकी है। गौरतलब है कि ताइवान चीन से अलग हो कर एक स्वतंत्र देश की तरह अपने देश के उच्च तकनीकी उत्पादों के जरिये अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा रहा है।
729 अरब डालर की अर्थव्यस्था वाला छोटा द्वीप देश ताइवान न्यू साउथ बाउंड पॉलिसी के तहत भारत को अपनी कम्पनियों के लिये उत्पादन केन्द्र के तौर पर देख रहा है।
आर्थिक रिश्तों को गहरा करने के अलावा ताइवान सामरिक क्षेत्रों में भारत से विचारों के आदान-प्रदान की पहल कर रहा है। इसके लिये भारत में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन रायसीना डायलाग में अपने प्रतिनिधि भेजने शुरू कर दिये हैं। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ सम्पर्क स्थापित करने की कोशिश की है लेकिन चीन की संवेदनशीलता को देखते हुए भारत ने इसका सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। ताइवान भारत के साथ एक दूसरे के सामरिक दर्शन पर विचारों का आदान-प्रदान चाहता है।
ताइवान के नेशनल डिफेंस एंड सिक्युरिटी रिसर्च इंस्टीट्यूट के चीफ एक्जीक्युटिव ऑफिसर छंग ई लिन ने यहां एक बातचीत में कहा कि ताइवान चीनी सैन्य खतरे से मुकाबले के लिये अपनी रक्षा तैयारी में तेजी ला रहा है। ताइवान न केवल हवाई सुरक्षा मिसाइलों के विकास और तैनाती में जुटा है बल्कि वह नई पीढ़ी के फ्रिगेट, युद्धपोतों और पनडुब्बियों का भी विकास कर रहा है। उन्होंने बताया कि ताइवान की पहली स्वदेशी पनडुब्बी चार साल बाद ताइवान की नौसेना को सौंप दी जाएगी। चीन के सम्भावित सैन्य अतिक्रमण से निबटने के लिये ताइवान की थलसेना भी इनफैन्ट्री फाइटिंग ह्वीकल तैनात करने के अलावा मोर्टारों आदि से लैस हो रहा है।
इसके अलावा ताइवान अपनी वायुसेना को अमेरिकी एएफ-16 लड़ाकू विमानों से लैस कर मजबूती दे रहा है। हांगकांग में चल रहे मौजूदा आन्दोलन के मद्देनजर ताइवानी अधिकारी ने कहा कि चीन में जब अंदरुनी अस्थिरता बढ़ जाएगी तो चीन ताइवान पर हमला कर सकता है। इसके मद्देनजर ताइवान ने अपनी सैन्य तैयारी और चौकसी बढ़ा दी है।
उन्होंने कहा कि चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग ने अपना मुख्य लक्ष्य ताइवान को चीन में विलय करना तय किया है इसलिये ताइवान पर सुरक्षा दबाव बढ़ गया है। चीन ताइवान के सैन्य और आर्थिक सूचना ढांचे पर भारी साइबर हमला कर रहा है।
छांग ई लिन ने आरोप लगाया कि चीन ताइवान के भीतर खुफिया हस्तक्षेप कर रहा है औऱ ताइवान में 11 जनवरी को होने वाले आगामी जनतांत्रिक चुनावों में भी कई तरह से हस्तक्षेप कर रहा है ताकि ताइवान की जनता को झूठी खबरों से बरगलाया जा सके।
छांग ई लिन ने कहा कि ताइवान की कम्पनियों ने चीन को अपना उत्पादन का आधार बनाया है लेकिन अब वे चीन और अपने देश में उत्पादन की ऊंची लागत वहन नहीं कर सकतीं । इसके अलावा ताइवानी कम्पनियां चीन सरकार के मौजूदा रवैये को देखते हुए भारत, वियतनाम जैसे देशों में जाने की योजना बनाने लगी हैं। छांग ने कहा कि भारत एक विशाल बाजार के तौर पर उभर चुका है जिसे ताइवान नजरअंदाज नहीं कर सकता।
