नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय रक्षा साज सामान के आयात की दूसरी सूची जारी करने वाला है। गौरतलब है कि पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 101 रक्षा उत्पादों की निगेटिव आयात लिस्ट जारी की थी।
यहां वाणिज्य संगठन फिक्की की एक बैठक को सम्बोधित करते हुए रक्षा उत्पादन विभाग के सचिव राजकुमार ने कहा कि निगेटिव आयात सूची निरंतर जारी रहने वाली प्रक्रिया है और सरकार इसे निरंतर अपडेट करती रहेगी।।
भारतीय थलसेना के साथ फिक्की द्वारा आयोजित आर्मी मेक प्रोजेक्ट पर एक वेबीनार को सम्बोधित करते हुए राजकुमार ने कहाकि रक्षा क्षेत्र में उत्पादन की सम्भावनाओं का पता लगाएं और निवेश करने के लिये आगे आने का निमंत्रण उद्योग जगत को दिया। राज कुमार ने कहा कि हम यह देख रहे हैं कि दूसरी सूची कब आएगी। इसके मद्देनजर हम रक्षा उद्यमियों से यह उम्मीद करेंगे कि सूचीबद्ध उत्पादों का देश में ही उत्पादन करें। उन्होंने कहा कि निगेटिव सुची की जो पहली खेप जारी हुई थी उससे स्वदेशीकरण की प्रक्रिया और तेज होगी। रक्षा उत्पादन सचिव ने कहाकि रक्षा उद्योग को अब प्रतिबंधित सूची के उत्पादों का स्वदेशी उत्पादन करने की जिम्मेदारी उठानी होगी।
राजकुमार ने कहाकि रक्षा औद्योगिक गलियारा , रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन और निगेटिव आयात सूची जैसी नीतियों का मुख्य जोर भारतीय उद्योग को रक्षा साज सामान का उत्पादन करने वाला सबसे बडा उत्पादक बनाना है। आर्मी मेक प्रोजेक्ट की सम्भावनाओं के बारे में रक्षा उत्पादन सचिव ने कहा कि उद्योग जगत को भारतीय थलसेना की जरुरतों को पूरा करने पर ध्यान देना होगा। राज कुमार ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये स्वतः मंजूरी के जरिये 74 प्रतिशत विदेशी निवेश का प्रस्ताव पहले ही हो चुका है।
राजकुमार ने कहा कि रक्षा उत्पादन और निर्यात संवर्द्धन नीति – 2020 का मुख्य जोर 2025 तक 25 अरब डालर के घरेलू रक्षा उत्पादन और पांच अरब डालर के निर्यात पर है। थलसेना के वाइस चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एस के सैनी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में भारतीय रक्षा उद्योग में भारी बदलाव आया है और वह रक्षा उद्योग का वैश्विक गढ बन सकता है। उन्होंने रक्षा उद्योग को भारतीय थलसेना की ओर से पूरा समर्थन का भरोसा दिलाया।
जनरल सैनी ने कहा कि हमारे लिये हमेशा यह गौरव की बात होगी कि हम अपने बनाए हथियारों से युद्ध लडें और जीतें। उन्होंने रक्षा उद्योग से कहा कि नवीनतम तकनीक का इस्तेमाल करें और विश्व स्तर के उत्पाद बनाएं। देश के सामने उभरती सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये स्वदेशी और स्थानीय क्षमता का विकास करना हमारी जरुरत है।
