नई दिल्ली। दो दशको तक वाद विवाद और गहन चर्चा के बाद अंततः भारत सरकार ने भारत की तीनो सेंनाओं का प्रधान सेनापति का पद बनाने का औपचारिक ऐलान कर दिया। वह सैन्य मामलों के विभाग यानी डिपार्टमेंट आफ मिलिट्री अफेयर्स की अगुवाई करेंगे।
चीफ आफ डिफेंस स्टाफ का पद सृजित करने के सैद्धांतिक फैसले का ऐलान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस भाषण में किया था। केन्द्रीय मंत्रिंडल की बैठक में इस आशय के फैसले का ऐलान केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को किया।
जावड़ेकर ने हालांकि भारत के पहले प्रधान सेनापति के नाम का ऐलान कैबिनेट बैठक के तुरंत बाद नहीं किया लेकिन माना जा रहा है कि तीनों सेना प्रमुखों में सबसे वरिष्ठ एक सप्ताह बाद रिटायर कर रहे सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत को ही इस पद के लिये चुना गया है।
Union Minister Prakash Javadekar: Government has approved the creation of post of Chief of Defence Staff. The officer to be appointed as Chief of Defence Staff will be a four star General and will also head the Department of military affairs pic.twitter.com/hC4ibOT5p4
— ANI (@ANI) December 24, 2019
हालांकि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ को फोर स्टार जनरल का ही दर्जा दिया गया है सरकारी सूत्रों ने साफ किया है कि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ समान दर्जा वाले अन्य सेना प्रमुखों में पहले स्थान पर माने जाएंगे। वह सभी सैन्य मामलों में प्रधानमंत्री के प्रमुख सैन्य सलाहकार होंगे। सैन्य हलकों में मांग की जा रही थी कि प्रधान सेनापति फाइव स्टार रैंक वाला होगा। ताकि वह तीनों सेना प्रमुखों के उपर माना जाए। लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं कर विभिन्न सेनाओं का मुखिया मौजूदा सेना प्रमुखों को ही माना है। प्रधान सेनापति को केन्द्र सरकार के सचिव का ही दर्जा देकर और उनके वेतन भत्ते भी सचिव के बराबर घोषित कर यह संकेत दिया गया है कि अधिकारों और शक्ति के मामले में प्रधान सेनापति सेनाओं पर शासन करने की असीम ताकत नहीं हासिल करेंगे।
प्रधान सेनापति की भूमिका सेनाओं की विभिन्न इकाइयों पर अपना हुकुम चलाने की नहीं होगी। वह प्रधानमंत्री के सिंगल प्वाइंट एडवाइजर यानी अकेले ऐसे होंगे जिनसे संकट के वक्त प्रधानमंत्री सलाह ले सकते हैं।
सैन्य हलकों में कहा जा रहा है कि देश के लिये यह एक ऐतिहासिक क्षण है। सीडीएस का पद सृजित करने की सिफारिश करगिल युद्ध की समीक्षा के लिये गठित करगिल समीक्षा समिति, नरेश चंद्र की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स आन नैशनल सिक्युरिटी, जनरल शेकातकर समिति आदि ने की थी।
रक्षा हलकों में कहा जा रहा है कि सीडीएस के पद के जरिये तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल स्थापित किया जा सकेगा ताकि युद्ध या राष्ट्रीय संकट के वक्त तीनों सेनाएं समन्वित तरीके से कार्रवाई करें। सीडीएस के पद के जरिये तीनों सेनाओं को साझा फैसले लेने में मदद मिलेगी। सीडीएस के पद के जरिये यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि वह तीनों सेनाओं की बजटीय प्राथमिकता तय करे और यह भी देखे कि तीनों सेनाओं की मांगों के अनुरूप कोई खास शस्त्र प्रणाली किसे पहले मिले।
