नई दिल्ली। कई सालों की प्रतीक्षा के बाद भारतीय वायुसेना के लिये वह स्वर्णिम अवसर आ ही गया जब दुनिया के अत्याधुनिक लडाकू विमानों में से एक राफाल ने अम्बाला वायुसैनिक अड्डे पर बुधवार दोपहर बाद उतरकर भारत की पवित्र भूमि को छुआ। इन विमानों की अगवानी के लिये भारत के वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया खुद अम्बाला वायुसैनिक अड्डे पर मौजूद थे।
गौरतलब है कि फ्रांस में दासो एविएशन कम्पनी के मेरिगनाक कारखाने में भारतीय वायुसेना के लिये 36 लडाकू विमानों का उत्पादन हो रहा है। इनमें से पांच विमानों की पहली खेप बुधवार को अम्बाला वायुसैनिक अड्डे पर उतरी। इन पांच विमानों ने सोमवार को भारत के लिये उड़ान भरी थी जो अबुधाबी होते हुए भारत पहुंचे हैं। सभी 36 राफेल विमान 2022 के शुुुुु तक भारतीय वायुसेना में शामिल होने की उम्मीद है।
The five Rafales escorted by 02 SU30 MKIs as they enter the Indian air space.@IAF_MCC pic.twitter.com/djpt16OqVd
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) July 29, 2020
राफेल विमानों को हासिल करने का 7.87 अरब यूरो का सौदा सितम्बर, 2016 में मौजूदा सरकार ने किया था। इन विमानों को चीन से लगे लद्दाख के सीमांत इलाकों पर चीन के खिलाफ तैनात किया जाएगा लेकिन इन्हें तैनात करने में दो से तीन सप्ताह का वक्त लग सकता है। इन विमानों के पायलटों को अभी हिमालय की पहाडियों पर उडान का अनुभव हासिल करना होगा तभी ये विमान लद्दाख में सीमा पार चीनी सेना से मुकाबला करने के लिये तैनात किये जा सकेंगे।
फ्रांसीसी राफेल लडाकू विमानों के भारतीय. वायुसेना में शामिल होने से भारतीय वायुसेना की हमलावर क्षमता में नया आयाम जुडे़गा। ये विमान कई तरह की आक्रामक मिसाइलों से लैस हैं जो दुश्मन की सेना के लिये काफी घातक साबित होंगे। इन विमानों पर तीन तरह की मिसाइलों को तैनात किया जा सकता है जिसमें हवा से हवा में 100 किलोमीटर दूर तक मार करने वाली मेटियोर , हवा से जमीन पर तीन सौ किलोमीटर तक मार करने वाली स्काल्प और हवा से जमीन पर 70 किलोमीटर तक मार करने वाली हैमर मिसाइलें तैनात होंगी। इसके अलावा ये विमान अत्याधुनिक आएसा रेडार से लैस हैं जो आसमान में उडते हुए दुश्मन के सौ से अधिक लडाकू विमानों की स्थिति को देखकर समुचित हमलावर कार्रवाई करने में अपने पायलट को सक्षम बनाती है।
