नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाकों से चीनी सैनिकों को वास्तविक नियंत्रण रेखा के इलाके तक पीछे लौटाने पर दोनों देशों के आला अधिकारियों के बीच हुई सहमति को लागू करने के लिये दोनो देशों के क्षेत्रीय सैन्य कमांडरों की चौथी बैठक भारत के चुशुल इलाके में मंगलवार को देर शाम तक चली।
इस बातचीत के नतीजों के बारे में दोनों पक्षों ने मौन बरता हुआ है लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों सेनाओं के आला प्रतिनिधियों ने पूर्वी लद्दाख के टकराव वाले इलाकों से सेनाएं पीछे ले जाने और सैन्य तैनाती कम करने के लिये दोनों पक्षों द्वारा उठाए जाने वाले कदमों को जमीन पर चरणबद्ध तरीके से लागू करने के बारे में बातचीत हुई।
इस बातचीत में भारत की ओर से लेह स्थित 14-कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की ओर से साउथ शिन्च्यांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर मेजर जनरल ल्यु लिन ने अगुवाई की। गौरतलब हैकि इसके पहले गत शुक्रवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के संयुक्त सचिव स्तर के राजनयिकों की बातचीत हुई थी जिसमें सैन्य कमांडरों की बातचीत का एजेंडा तय किया गया था।
दोनों सैन्य कमांडरों ने इसके पहले छह , 22 और 30 जून को बैठकें की हैं। गौरतलब है कि दोनों सेनाएं गलवान घाटी और हाट स्प्रिंग के इलाके से तो पीछे हटने लगी हैं लेकिन पैंगोंग झील के फिंगर-4 इलाके पर चीनी सेना ने अपनी तैनाती में मामुली कमी की है। भारत का कहना है कि चीनी सेना फिंगर-4 से आठ किलोमीटर ऊपर फिंगर-8 तक चली जाएं। दोनों चोटियों के बीच आठ किलोमीटर की दूरी है। इसके अलावा चीनी सेना देपसांग घाटी में भी अपनी पूर्व स्थिति पर लौटेने में हिचक रही है।
गत पांच जुलाई को ही दोनों देशों के सीमा मसले पर वार्ता के लिये नामजद विशेष प्रतिनिधियों की लम्बी बातचीत हुई थी।
