नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाकों में घुसपैठ कर बैठी रहने वाले चीन ने भारत से आग्रह किया है कि भारत के शिक्षण संस्थानों में चीनी भाषा की पढ़़ाई जारी रखें। चीन ने भारत से कहा है कि सामान्य रिश्तों का राजनीतिकरण करने से बचें।
यहां चीनी दूतावास की प्रवक्ता ची रोंग ने एक बयान में उम्मीद जाहिर की कि कन्फ्युसियस संस्थानों और भारत –चीन उच्च शिक्षा सहयोग के साथ निष्पक्ष व्यवहार किया जाएगा। चीनी प्रवक्ता ने यह भी कहा कि जनता स्तर पर भारत चीन सम्बन्ध और सांस्कृतिक आदान प्रदान का स्वस्थ और स्थिर विकास जारी रखा जाना चाहिये।
गौरतलब है कि भारत के शिक्षा मंत्रालय ने अपने हाल के आदेश में कहा है कि शिक्षण संस्थानों में पढाई जाने वाली विदेशी भाषा में चीनी भाषा को हटाकर कोरियाई भाषा को शामिल कर लिया गया है। इसे संज्ञान में लेते हुए चीनी दूतावास ने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि चीन के कनफ्यूसियस संस्थानों और सात भारतीय विश्वविद्यालयों और कालेजों के साथ सहयोग के समझौते की समीक्षा करने को कहा है। इसके अलावा अंतर स्कूल सहयोग पर भी समझौते किये गए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि भारत और चीन के बीच तेजी से बढते आर्थिक , व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान प्रदान के बीच भारत में चीनी भाषा की मांग बढती जा रही है। कन्फ्युसियस संस्थानों को लेकर भारत चीन सहयोग गत दस सालों से चल रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि कन्फ्युसियस संस्थानों की स्थापना भारत और चीन के शिक्षण संस्थानों के बीच वैधानिक तरीके से दस्तखत किये गए सहयोग समझौतों के तहत की गई है। यह परस्पर सम्मान, दोस्ताना विचारविमर्श , समानता और आपसी लाभ के अलावा इस आधार पर की गई है कि भारतीय पक्ष ने स्वेच्छा से इन संस्थानों के संचालन के लिये पहल की है।
प्रवक्ता ने कहा कि स्कूलों में कन्फ्युसियस संस्थानों की स्थापना इस आधार पर की गई कि विदेशी पक्ष प्रबंध करेगा. चीनी पक्ष सहयोग करेगा औऱ दोनों पक्ष मिल कर कोष इक्ट्ठा करेंगे। प्रवक्ता ने कहा कि पिछले सालों में कन्फ्युसियस संस्थानों ने भारत में चीनी भाषा की पढाई में अहम योगदान दिया है। इससे जनता स्तर पर सम्बन्धों को बढावा मिलता है। आम तौर पर इसे भारतीय शैक्षणिक समुदाय ने स्वीकार किया है।
