नई दिल्ली। भारतीय रक्षा शोध संगठन ने नई शस्त्र प्रणालियों के विकास के लिये अगले एक दशक तक का अपना रोडमैप तैयार कर लिया है। भारतीय सेनाओं के लिये अंतरिक्ष में उपग्रहों को नष्ट करने वाली एंटी सेटेलाइट प्रणाली का विकास और अग्नि जैसी लम्बी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) बना कर देने वाले रक्षा शोध एवं विकास संगठन (DRDO) अब एक दशक के दौरान नई रक्षा चुनौतियों के मद्देनजर कुछ चुनिंदा रक्षा प्रणालियों के विकास पर काम करेगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने यहां डीआरडीओ के वैज्ञानिकों और आला अधिकारियों के साथ एक बैठक में डीआरडीओ द्वारा जारी उक्त रोडमैप को जारी किया। रोडमैप ऑफ डीआरडीओ नाम से जारी इस पुस्तिका में डीआरडीओ ने खास किस्म की रक्षा प्रणालियों के विकास और उन्हें सेनाओं को सौंपने के लिये महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया गया है।
डीआरडीओ के मुख्यालय जा कर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ के कामकाज और भावी योजनाओं की समीक्षा की। डीआरडीओ के चैयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी और अन्य आला वैज्ञानिकों ने रक्षा मंत्री को डीआरडीओ के अब तक के कामकाज की पूरी जानकारी दी। डीआऱडीओ के अधिकारियों ने अपने प्रेजेंटेशन में रक्षा मंत्री को हाल की कुछ खास उपलब्धियों की जानकारी दी और उन्हें बताया कि किस तरह डीआरडीओ द्वारा विकसित चुनिंदा रक्षा प्रणालियों की वजह से भारतीय सेनाओं की मारक क्षमता बढ़ी है।
रक्षा मंत्री ने डीआऱडीओ की नई योजनाओं की सराहना की और उन्हें निर्देश दिया कि राष्ट्रीय महत्व की कुछ खास परियोजनाओं पर विशेष ध्यान दे। अकादमिक जगत और रक्षा उद्योगों के बीच तालमेल बढ़ाने की उन्होंने सराहना की। देश की सैन्य क्षमता बढ़ाने में डीआरडीओ की हाल की उपलब्धियों की उन्होंने सराहना की। रक्षा मंत्री ने कहा कि डीआरडीओ ने हाल में देश को एंटी सेटेलाइट मिसाइल, 4.5 पीढ़ी के लड़ाकू विमान, पूर्व चेतावनी वाले टोही विमान(एईडब्ल्यू एंड सी एस), बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम आदि मुहैया कराए हैं।
गौरतलब है कि डीआरडीओ की बदौलत ही पाकिस्तान और चीन के खिलाफ खौफ पैदा करने यानी प्रतिरोधक सैन्य शस्त्र प्रणालियों के विकास में भारत द्वारा अहम कामयाबी हासिल की गई है।
