नई दिल्ली। तपस और स्विफ्ट यूएवी के लिए रिट्रैक्टिबल लैंडिंग गियर सिस्टम और पी-75 सबमरीन के लिए 18 तरह के फिल्टरों को सौंपे जाने का समारोह डीआरडीओ प्रयोगशाला, कॉम्बैट व्हीकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट (CVRDE), चेन्नई में माननीय सांसद व रक्षा संसदीय स्थायी समिति के सदस्य डॉ. कलानिधि वीरास्वामी, डीडीआरएंडडी के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. जी सतीश रेड्डी और महानिदेशक (एसीई) पी के मेहता की उपस्थिति में आयोजित हुआ।
सीवीआरडीई ने तपस यूएवी के लिए तीन टन के रिट्रैक्टिबल लैंडिंग गियर (आरएलजी) सिस्टम को स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया है। इस गियर सिस्टम के डिजाइन, विकास और परीक्षण का प्रमाणन सीईएमआईएलएसी और डीजीएक्यूए के समन्वय में किया जाता है। ट्राइसाइकिल नोज व्हील प्रकार के बहु-विषयी, हाइड्रो-इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम का अब कोयंबटूर में एक उद्योग द्वारा विनिर्माण किया जा रहा है। उद्योग द्वारा विकसित रिट्रेक्टेबल लैंडिंग गियर सिस्टम के पहले सेट की सुपुर्दगी सीवीआरडीई, चेन्नई के निदेशक द्वारा एडीई बैंगलुरु के निदेशक को की गयी थी।
Under #AtmaNirbharBharat, Combat Vehicles Research and Development Establishment (CVRDE), Avadi a research organisation under DRDO dedicates Indigenous Retractable Landing Gear Systems for TAPAS UAV and SWiFT UAV, and 18 Types of Filters for Indian Navy Submarines. @indiannavy pic.twitter.com/8fOfa9Vwu8
— Defence PRO Chennai (@Def_PRO_Chennai) January 10, 2021
सीवीआरडीई ने यूएवी के एक अलग वर्ग जिसे स्विफ्ट के रूप में जाना जाता है, के लिए एक टन रिट्रेक्टेबल लैंडिंग गियर सिस्टम की रूपरेखा तैयार की है और विकास किया है। इस सिस्टम का डिजाइन और विकास कंस्ट्रेंड बे वॉल्यूम के भीतर लैंडिंग गियर्स को समायोजित करने के लिए किया गया है। इसका विनिर्माण सीईएमआईएलएसी और डीजीएक्यूए के समुचित निरीक्षण और प्रमाणन के साथ भारतीय उद्योग की मदद से किया गया है। यह सिस्टम एडीई, बैंगलुरु को भी सौंपी गई थी। पी-75 सबमरीन के लिए स्वदेशी रूप से विकसित 18 प्रकार के हाइड्रोलिक, लुब्रिकेशन, समुद्रीजल और ईंधन फिल्टरों का सीवीआरडीई द्वारा डिजाइन और विकास किया गया था। इन फिल्टरों का विनिर्माण अब हैदराबाद और चेन्नई में स्थित भारतीय उद्योगों की मदद से किया जा रहा है।
यह स्वदेशीकरण परियोजना डीआरडीओ और नौसेना द्वारा संयुक्त रूप से वित्तपोषित की गयी थी और प्रौद्योगिकी को सफलतापूर्वक उद्योग को स्थानांतरित कर दिया गया था। डीक्यूए (एन) द्वारा विधिवत रूप से अर्हताप्राप्त इन फिल्टरों के दो सेट भारतीय नौसेना को सौंप दिए गए।
डीडीआरएंडडी के सचिव ने स्वदेशी डिजाइन प्रयासों के महत्व को रेखांकित किया और उन उद्योगों की सराहना की जिन्होंने इन महत्वपूर्ण कंपोनेन्ट के निर्माण के लिए सुविधा केन्द्रों की स्थापना की है।
