नई दिल्ली: सरकार रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए किसी प्रकार का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं करती और इसके लिए वार्षिक तौर पर कोई बजट निर्दिष्ट नहीं है। विदेशी विक्रेताओं से रक्षा उपकरणों की खरीद सशस्त्र सेनाओं की जरूरत के हिसाब से की जाती है। यह सेना की आवश्यकताओं पर निर्भर करता है। यह बात रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कही।
उन्होंने बताया कि भारतीय विक्रेताओं के साथ साथ विदेशी विक्रेताओं से रक्षा उपकरणों की प्राप्ति की जाती है। पिछले दो वर्ष में तीनों सेनाओं के लिए भारतीय और विदेशी विक्रेताओं से रक्षा उपकरणों की खरीद पर 2014-15 में 65,583.77 करोड़ जिसमें से 29,984.86 करोड़ विदेशी विक्रेताओं से और 39,598.91 करोड़ भारतीय विक्रेताओं से खरीद की गई है। जबकि, 2015-16 में कुल खरीद 62,341.86 करोड़ जिसमें 23,192.2 करोड़ विदेशी और 29,149.64 करोड़ भारतीय विक्रेताओं से की गई है।
पिछले दो वर्ष में रक्षा उपकरणों के आयात से जुड़े सवाल के जवाब में मंत्री ने सदन को बताया कि इसके लिए देश-वार ब्योरे इकट्ठे किए जा रहे हैं और मिलते ही उन्हें सदन के समक्ष रख दिया जाएगा। केंद्र सरकार ने सदन में स्वीकार किया कि प्रतिशतता के रूप में राजस्व भंडार और पूंजी आधुनिकीकरण के अंश में वर्ष 2007-08 से कमी आई है लेकिन वास्तविक धनराशि के रूप में इस अवधि के दौरान पर्याप्त वृद्ध हुई है।
