नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा इस साल के बजट में सेना का आधुनिकीकरण की एक प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है। करीब डेढ़ दशक बाद रक्षा क्षेत्र में कैपिटल आउट ले में 19 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गई है। आजादी के बाद पहली बार रक्षा क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी बढ़ाने पर इतना जोर दिया जा रहा है। प्राइवेट सेक्टर को आगे लाने के लिए उनके लिए काम करना और आसान बनाने के लिए सरकार उनके ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पर बल दे रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा- मैं डिफेंस सेक्टर में आ रहे प्राइवेट सेक्टर की चिंता भी समझता हूं। अर्थव्यस्था के अन्य सेक्टर के मुकाबले डिफेंस सेक्टर में सरकार का दखल कई गुणा ज्यादा है। सरकार ही एकमात्र Buyer है। सरकार खुद मैन्युफैक्चरर भी है और सरकार की अनुमति के बिना एक्सपोर्ट करना भी मुश्किल है। यह स्वभाविक भी है क्योंकि यह सेक्टर नेशनल सिक्यॉरिटी से जुड़ा हुआ है लेकिन साथ ही प्राइवेट सेक्टर की साझेदारी के बिना 21वीं सदी का डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम खड़ा नहीं हो सकता। यह मैं भी भलि भांति समझता हूं और अब सरकार के सभी अंग भी समझ रहे हैं। साल 2014 से ही हमारा प्रयास रहा है कि ट्रांसपेरेंसी, प्रिडिक्टेब्लिटि और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के साथ हम इस सेक्टर में लगातार एक के बाद कदम उठाते हुए आगे बढ़ रहे हैं। डीलाइसेंसिंग, डीरेग्यूलेशन, एक्सपोर्ट प्रमोशन, फॉरेन इंवेस्टमेंट लिब्रलाइजेशन ऐसे अनेक उपायों के साथ हमने इस सेक्टर में एक के बाद एक मजबूत कदम उठाए हैं।
Speaking at the Webinar for effective implementation of Union Budget provisions in the Defence Sector. https://t.co/2gstvbmPh5
— Narendra Modi (@narendramodi) February 22, 2021
यूनिफॉर्म फोर्सेस की लीडरशिप से मिला सबसे ज्यादा सहयोग
पीएम मोदी ने कहा कि मैं यह भी कहूंगा कि मुझे सारे प्रयासों के लिए सबसे ज्यादा प्रयोग, सबसे ज्यादा मदद यूनिफॉर्म फोर्सेस की लीडरशिप से मिली है। वे भी एक प्रकार से इस बात को बल दे रहे हैं। जब डिफेंस फोर्स का यूनिफॉर्म पहना व्यक्ति इस बात को कहता है तो इस बात की ताकत बहुत बढ़ जाती है क्योंकि जो यूनिफॉर्म पहन कर खड़ा है उसके लिए तो यह जीवन और मृत्यु की जंग होती है। वह अपना जीवन संकट में डालकर देश की रक्षा करता है और वह जब आत्मनिर्भर भारत के लिए आगे आया हो तो कितना सकारात्मक और उत्सव से भरा हुआ वातावरण होगा इसकी भलि-भांति कल्पना कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने डिफेंस से जुड़े ऐसे 100 आइटम की लिस्ट बनाई है, जिसे निगेटिव लिस्ट कहते हैं। इन्हें हम अपनी स्थानीय इंडस्ट्री की मदद से मैन्युफैक्चर कर सकते हैं। इसलिए टाइमलाइन रखी गई है ताकि हमारी इंडस्ट्री जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य हासिल करने के लिए प्लान तैयार कर सके। सरकारी भाषा में ये निगेटिव लिस्ट है लेकिन मैं इसे जरा अलग तरीके से देखता हूं। जिसको दुनिया निगेटिव लिस्ट के नाम से जानती है, मेरी दृष्टि से यह आत्मनर्भरता की भाषा में पॉजिटिव लिस्ट है।
ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसके बल पर हमारी अपनी मैन्युफैक्चरिंग कैपिसिटी बढ़ने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो भारत में ही रोजगार निर्माण का काम करेगी। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जो अपनी रक्षा जरूरतों के लिए हमारी विदेशों पर निर्भरता को कम करने वाली है। ये वो पॉजिटिव लिस्ट है जिसकी वजह से भारत में बने प्रोडक्ट्स की भारत में बिकने की गारंटी भी है। ये वो चीजें है जो भारत की आवश्यक्ता के अनुसार, हमारे क्लाइमेट और हमारे लोगों के स्वभाव के अनुसार इसमें निरंतर इनोवेशन होने की संभावनाएं अपने आप समाहित है।
पीएम मोदी ने कहा मैं आज इस बैठक में आप सभी को ये भरोसा देता हूं जिसे बनाने का सामर्थ्य देश में है किसी सरकारी या प्राइवेट कंपनी में है, वो बाहर से लाने की अप्रोच नहीं रखी जाएगी। देश में आज जो डिफेंस कॉरिडोर बनाए जा रहे हैं, वो भी स्थानीय उद्यमियों, लोकल मैन्युफैक्चरिंग को मदद करेंगे। यानी आज हमारे डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता को हमें ‘जवान भी और नौजवान भी’, इन दोनों मोर्चों के सशक्तिकरण के रूप में देखना होगा।
