नई दिल्ली। सेना ने एक बड़ा कदम उठाते हुए जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) को गैर-राजपत्रित अधिकारी बताने वाले अपने एक पिछले नोट को खारिज करते हुए कहा है कि जेसीओ राजपत्रित (गजेटेड) अधिकारी होते हैं। इससे पहले सेना जेसीओ को अराजपत्रित अधिकारी मानता था। इसके बाद से ही जेसीओ रैंक के अधिकारियों में वेतन समानता और रैंकिंग को लेकर काफी असंतोष देखा जा रहा था इस फैसले के बाद से तकरीबन 64 हजार से अधिक सैन्य अधिकारियों को लाभ मिलेगा।
सेना ने दो दिन पहले यह निर्णय लिया जो बड़ी संख्या में इसके जवानों के बीच वेतन-असमानता तथा रैंक से संबंधित मुद्दों को लेकर उपजे असंतोष के मादेनजर लिया गया। सेना मुख्यालय ने एक आधिकारिक प्रपत्र में वर्ष 2011 में एक RTI अर्जी के जवाब में जारी अपने एक पत्र को रद्द कर दिया है। इस प्रपत्र में कहा गया था कि जेसीओ गैर-राजपत्रित अधिकारी होते हैं।
जानकारों के मुताबिक सेना ने जेसीओ को अराजपत्रित अधिकारी करार देकर ‘बहुत बड़ी गलती’ की थी, जिसे अब सुधार लिया गया है। इससे नायब सूबेदार, सूबेदार और सूबेदार मेजर जैसी जेसीओ की तीनों श्रेणियों के 64 हजार कर्मियों को फायदा होगा।
मौजूदा वेतन प्रक्रिया के मुताबिक सूबेदार मेजर और सूबेदार को तो राजपत्रित अधिकारी का वेतनमान मिल रहा है, लेकिन 55 हजार नायब सूबेदारों को अभी भी गैर-राजपत्रित श्रेणी के अनुसार वेतन दिया जा रहा है। वेतन और भत्तों में असमानता के मुद्दे पर विचार करने के लिए तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया था।
