नई दिल्ली। डोकलाम जैसे विवाद चीन के सीमा पर दोबारा न हो इसके लिए भारत ने कमर कस ली है। कई दिनों तक दोनों देशों के बीच चले डोकलाम विवाद के बाद भारत आगे इस तरह के तनाव से निपटने को लेकर पूरी तरह सक्षम हो जाना चाहता है। जिसे देखते हुए चीन की सीमा से सटे लद्दाख के क्षेत्र में और अधिक हवाई अड्डों का निर्माण किया जाएगा। हवाई अड्डों के निर्माण से जंग के हालात के मद्देनजर सेना को जल्द से जल्द सीमा तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।
एक अंग्रेजी पत्रिका के मुताबिक रक्षा क्षेत्र के अधिकारी ने कहा कि भारत के लिए लद्दाख जैसे क्षेत्र में सैनिकों को पहुंचाना इतना आसान नहीं होता और अगर मौसम सर्दियों भरा हो तो यह कार्य और मुश्किल हो जाता है। ऐसे में हवाई मार्ग से फायदा ही फायदा होगा।
भारतीय वायुसेना ने ऐसे इलाकों की आइडेंटिफिकेशन भी शुरू कर दिया है जहां आने वाले वक्त में हवाई अड्डों का निर्माण किया जा सकता है। इस परियोजना के तहत न्योमा हवाई अड्डे का भी आधुनिकीकरण किया जा सकता है। इस हवाई अड्डे को 1962 की इंडो-चाइना युद्द के बाद इस्तेमाल करना बंद कर दिया गया था। वैसे, साल 2009 में उसे दोबारा शुरू किया गया पर अभी उसमें काफी कुछ काम होना बाकी है।
भारत ने अरुणाचल में 07 एडवांस लैंडिंग ग्राउंड (एएलजी) बनाए हुए हैं लेकिन अब उनको अपग्रेड करने का कार्य होना है। ये एएलजी पूरी तरह से एयरबेस नहीं होते पर लड़ाकू विमान में ईंधन भरने, सैनिकों को उतारने और सामान छोड़ने के लिए इनका प्रयोग किया जा सकता है।
डोकलाम विवाद अगस्त में आरंभ हुआ था जिसमें चीन द्वारा बनाई जा रही एक सड़क का भारत ने कड़ा विरोध किया था। भारत-चीन दोनों देशों की सेना एक दूसरे के सामने डटे रहे थे। करीब दो महीने बाद आपसी सहमति से दोनों देशों के सैनिकों ने पीछे हटने का निर्णय लिया।
