नई दिल्ली। 1930 के दौरान ‘रॉयल इंडियन एयर फोर्स’ में शामिल किया गया डगलस डीसी-3 यानी डकोटा विमान अब नए रूप में भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने जा रहा है। आपको बता दें कि कश्मीर का पुंछ यदि आज भारत का हिस्सा है तो इसका बड़ा श्रेय डकोटा विमान को जाता है। जिसने 1947 के भारत पाक युद्ध में सैनिकों को शीघ्रता से कश्मीर कि धरती पर पहुंचाया था।
‘परशुराम’ होगा विमान का नया नाम
राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर के प्रयासों से कबाड़ में पहुंच चुके इस विमान को ब्रिटेन में फिर से तैयार किया गया है और अब यह फिर से वायुसेना की सेवा करेगा। मंगालवार को एक कार्यक्रम के दौरान राजीव चंद्रशेखर ने विमान से जुड़े दस्तावेज वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ को सौंपे हैं। विमान को नया नाम ‘परशुराम’ दिया गया है। इसके अलावा इसे वीपी 9005 के नाम से भी जाना जाएगा।
फिलहाल यह विमान ब्रिटेन में हैं और भारत में इसकी पहली लैंडिंग जामनगर हवाई अड्डे पर होगी। जहां से यह मार्च माह में उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद स्थित ‘हिंडन एयरबेस’ में शामिल हो जाएगा। विमान को कई देशों के ऊपर से गुजरना होगा इसके लिए विभिन्न देशों से अनुमति हासिल कर ली गई है।
डकोटा परशुराम की खूबियां गिनाते हुए एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ ने बताया कि 1930 में रॉयल इंडियन एयर फ़ोर्स के 12 वें दस्ते में शामिल किया गया था। 19 47 के भारत पाक युद्ध में कश्मीर को बचाने में इस विमान ने अहम् भूमिका निभाई थी। इस युद्ध के दौरान सेना की 1 सिख रेजिमेंट के जवानों को शीघ्रता से कश्मीर पहुंचाया था। बांग्लादेश मुक्ति में भी इस विमान ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। गौरतलब है कि वायुसेना के पास मौजूद विशिष्ट विमानों में यह पहला डकोटा विमान होगा जो सैन्य मिशन में ख़ास महत्त्व रखता है।
