नई दिल्ली। साल 2018 के दौरान थलसेना में 80, नौसेना में 08 और वायुसेना में 16 जवानों ने आत्महत्याएं की हैं जिसे रोकने के लिये कई कदम उठाने की जानकारी रक्षा मंत्रालय ने दी है।
थलसेना में आत्महत्या और साथी- सैनिकों की हत्या के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने बताया कि जवानों का मनोबल ऊंचा रखने के लिये उन्हें बेहतर क्वालिटी के कप़ड़े, भोजन, विवाहितों के आवास, यात्रा की सुविधाएं, बच्चों की स्कूली शिक्षा, मनोरंजन और कल्याण के कार्यक्रम आदि आयोजित किये जाते हैं।
सैनिकों को तनाव मुक्त रखने के लिये योग औऱ ध्यान के पाठ पढ़ाए जाते हैं, मनोवैज्ञानिक सलाहकारों की सेवाएं दी जाती हैं । पेशेवर सलाह देने के लिये थलसेना और वायुसेना द्वारा मानसिक सहायता हेल्पलाइन सेवा शुरू की गई है, भर्ती होने के पहले मानसिक स्वास्थ्य की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा सैनिक मनोवैज्ञानिक चिकित्सा केन्द्र कई जगहों पर खोले गए हैं। जवानों में तनाव दूर करने के लिये सहयोग औऱ मिलाप जैसे प्रोजेक्ट शुरू किये गऐ हैं।
रक्षा राज्य मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2016 में 106 जवानों ने आत्महत्या की जो कि पिछले साल की तुलना में काफी कम है। 2017 में 75 जवानों ने आत्महत्या की थी। इसी तरह वायुसेना में भी 2016 में 19 आत्महत्याएं हुईं। जब कि नौसेना में 06 सैनिकों ने आत्महत्या की थीं।
