नई दिल्ली। पूर्व एशिया के देशों के साथ विशेष रिश्ते बनाने और हिंद प्रशांत इलाके में नियम आधारित समुद्री व्यवस्था बनाए रखने के अपने नजरिये में भारत ने दक्षिण कोरिया को महत्वपूर्ण साझेदार बताया है। दोनों देशों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग गहरा होने पर भी संतोष जाहिर किया है।
भारत और दक्षिण कोरिया के बीच संयुक्त आयोग की यहां हुई 9वीं बैठक में भारत और दक्षिण कोरिया ने कहा कि दोनों देश अपने साझा समुद्री इलाके में नियम आधारित व्यवस्था को बनाये रखने में सहयोग करने को प्रतिबद्ध हैं। गौरतलब है कि चीन पर आरोप है कि वह हिंद प्रशांत इलाके में अपनी समुद्री विस्तार योजनाओं के जरिये शांति व स्थिरता को भंग रहा है और वह इस इलाके में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर समुद्री कानूनों का उल्लंघन कर रहा है।
Intensifying the Special Strategic Partnership.
EAM @SushmaSwaraj :”India sees RoK as an indispensable partner in its Act East Policy & in its vision of the Indo-Pacific.”
Press Statement after conclusion of 9th India-RoK #JCM with FM Kang Kyung-wha: https://t.co/zYsHXIurDB pic.twitter.com/PODFuXnQxC— Raveesh Kumar (@MEAIndia) December 19, 2018
भारत औऱ दक्षिण कोरिया के संयुक्त आयोग की बैठक विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री कांग कांग क्युंह ह्वा की सह-अध्यक्षता में यहां सम्पन्न हुई। इसके बाद विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने बयान में चीन का नाम लिये बिना कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया स्वतंत्र, मुक्त, शांतिपूर्ण और नियम आधारित व्यवस्था के पक्ष में हैं। दोनों इसकी अहमियत पर एक राय रखते हैं। यह अपने साझा इलाके की समृद्धि के लिये काफी अहम है।
दक्षिण कोरिया प्रायद्वीप के परमाणु मसले पर भारत ने दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के प्रयासों को भारत ने समर्थन दिया और कहा कि इस मसले का हल बातचीत से ही हल किया जाना चाहिये। दोनों ने उम्मीद जाहिर की कि दोनों कोरियाई देशों के प्रयासों से पूरे इलाके में शांति व समृद्धि का नया दौर आएगा।
इस बातचीत के दौरान दोनों विदेश मंत्रियों ने आतंकवाद के मसले पर भी चर्चा की और दोनों इस बात पर सहमत हुए कि अपने सभी रुपों में आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है जिसका मुकाबला क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तालमेल से ही किया जा सकता है।
सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत औऱ दक्षिण कोरिया के बीच पहले ही विशेष सामरिक साझेदारी का रिस्ता स्थापित हो चुका है और 9वें संयुक्त आयोग की बैठक के दौरान हुई चर्चा से इस साझेदारी को औऱ बल मिला है। इस साझेदारी को और मजबूत करने के लिये दोनों देशों ने संकल्प जाहिर किया है कि 2030 तक दोनों के बीच आपसी व्यापार का स्तर 50 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाएगा।
