नई दिल्ली। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की वजह से अमेरिकी विमान निर्मता बोंइंग को उम्मीद है कि अगले दो दशकों तक भारत में 320 अरब डॉलर की लागत से 2,300 यात्री विमानों की मांग पैदा होगी।
यहां बोईंग कम्पनी के आला अधिकारी दिनेश केस्कर ने बताया कि भारत में विमान यात्रियों की संख्या और हवाई अड्डों के बढ़ जाने से यात्री विमानों की मांग में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस वजह से वैमानिकी विकास में भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश बना रहेगा। जहां तक बाकी दुनिया का सवाल है बोईंग को उम्मीद है कि अगले बीस सालों में 6.3 ट्रिलियन डॉलर के 42,730 विमानों की मांग पैदा होगी।
भारतीय वैमानिकी बाजार के लिये अपने दीर्घकालीन आकलन को पहले से बेहतर बताते हुए दिनेश केस्कर ने कहा कि 2018 में ही करीब एक करोड़ से अधिक लोगों ने विमान से सफर किया। उन्होंने कहा कि रेलवे के एक प्रतिशत यात्री भी यदि विमान यात्रा की ओर जाते हैं तो इससे विमान यात्रियों की संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि फिलहाल भारतीय एयरलाइंसों से बोईंग को चार सौ से अधिक विमानों के ऑर्डर हैं।
केस्कर ने बताया कि विमानों की बिक्री के साथ ही भारत में मेनटेनेंस एंड ओवरहाल (MRO) का बिजनेस भी काफी तेजी से फैल रहा है। बीस सालों में इस क्षेत्र में आठ अरब डॉलर का व्यापार ख़ड़ा हो सकता है।
बोइंग के व्यावसायिक बाजार आकलन (CMO) के मुताबिक भारत का व्यावसायिक वैमानिकी बाजार लगातार 51वें महीने दोहरा अंक में बढ़ा है जो पूरी दुनिया में अदवितीय है। वैमानिकी क्षेत्र में जितना तेजी से विकास हुआ है उतना भारतीय अर्थव्यवस्था के किसी औऱ क्षेत्र में नहीं हुआ।
केस्कर ने कहा कि अगले दो दशकों में भारतीय अर्थव्यवस्था 350 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो कर आठ ट्रिलयन डालर की हो जाएगी और यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। इससे भारत के मध्य वर्ग का तेजी से विकास होगा जो विमानों से अधिक यात्राएं करेंगे। इससे भारत में विमानों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने कहा कि 2035 तक दुनिया का पांच प्रतिशत से अधिक वैमानिकी बेड़ा भारत में होगा। इस वजह से इस पूरे इलाके में भारत वैमानिकी विकास का सबसे प्रमुख इंजन साबित होगा। उन्होंने कहा कि भारत में नये हवाई अड्डे बन रहे हैं औऱ छोटे शहरों को विमान सेवाओं से जोड़ा जा रहा है जिससे भारत में यात्री विमानों की मांग आने वाले सालों में काफी बढ़ेगी।
