हिसार। हत्या के मामले में स्वयंभू बाबा रामपाल को कोर्ट ने ‘मरते दम तक जेल’ की सजा सुनाई है। सजायाफ्ता होते ही बाबा अब कैदी नंबर- 1005 बन गया है। हिसार के केन्द्रीय कारागार में उसे बागवानी का काम दिया जा सकता है। सश्रम कारावास की वजह से उसे माली का काम मिलेगा पर इसकी एवज में उसे क्या मजदूरी मिलेगी इसका निर्णय उसके एक माह के काम के बाद तय होगा।
हालांकि इस काम के लिए जेल प्रशासन रोजाना 20 रुपये की मजदूरी देता है। इंजीनियर से बाबा बने रमापाल का अब जेल में ड्रेस कोड भी बदल जायेगा। सजायाफ्ता बाबा को अकुशल कैदियों की सूची में रखा गया है।
सजायाफ्ता कैदी बनने के बाद उससे मिलने वालों पर भी अंकुश लग जायेगा। अब तक वह सप्ताह में दो बार अपने परिजनों से मिल सकता था। पर अब वह परिजनों से सप्ताह में एक बार ही मिल पायेगा।
जेल सूत्र बताते हैं कि रामपाल तभी से गुमसुम रहने लगा था जब से उसे दोषी करार दिया गया था। मंगलवार को सजा सनाए जाने के बाद से वह और गमगीन और चुप रहने लगा है। हालांकि वह खाना खा रहा है और उसकी काउंसलिंग भी की गई है।
