नई दिल्ली। चीन से लगे सीमांत पिथौरागढ़ के जौलजीबी सेक्टर में गत 27 जुलाई को भारी बारिस और भूस्खलन की वजह से पानी में बह गए एक पुल की जगह 180 मीटर लम्बा बेली पुल बना कर सीमा सडक संगठन ने आसपास के वाशिंदों को भारी राहत पहुचांई है।
यहां रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुए बताया कि सीमा सडक संगठन के इंजीनियरों और कामगारों ने भारी बारिस के बावजूद महज तीन सप्ताह में यह पुल बना कर इलाके के प्रशासन को सौंप दिया। इससे आसपास के हजारों ग्रामीणों की आवाजाही की समस्या से भारी राहत मिली है। गत 17 जुलाई को बादल फटने से इस इलाके का 50 मीटर लम्बा कंक्रीट पुल पानी में बह गया। इससे इस इलाके के गांवों और प्रशासन का आपस में संचार सम्पर्क पूरी तरह टूट गया था।
आपात सूचना मिलने पर सीमा सडक संगठन ने अपने संसाधन इकट्ठे किये और युद्धस्तर पर पुल बनाने का काम पूरा किया। यह पुल 16 अगस्त को पूरा किया गया। इस पुल की वजह से जौलजीबी और मुनसियारी को जोडा जा सका है। इससे आसपास के 20 गांवों के 15 हजार लोगों की परेशानी दूर हुई है। इससे प्रशासन के लिये बाढ पीडित गांवो तक पहुचंना आसान हो गया है। इस पुल की वजह से जौलजीबी और मुनसियारी के बीच 66 किलोमीटर लम्बा मार्ग खुल गया है। जौलजीबी से 15 किलोमीटर दूर लुमटी और मोरी गांवों के सर्वाधिक बूरे प्रभावित ग्रामीणों की परेशानियों को लेकर स्थानीय सांसद अजय टमटा ने चिंता जाहिर की थी। इस पुल की वजह से भूस्खलन प्रभावित गांवों के लोगों के पुनर्वास में मदद मिलेगी।
