नई दिल्ली। अमेरिकी बोईंग कम्पनी द्वारा बनाए गए चिनूक सीएच-47आई को भारतीय वायुसेना के बेड़े में 25 मार्च को एयर फोर्स स्टेशन चंडीगढ़ में शामिल किया जाएगा। इस मौके पर एक इंडक्शन सेरेमनी का आयोजन वायुसेना कर रही है। भारतीय वायुसेना के बेड़े में अब तक रूसी मूल के भारी वजन उठाने वाले हेलिकॉप्टर ही रहे हैं लेकिन यह पहली बार होगा कि वायुसेना को अमेरिकी मूल के हेवीलिफ्ट हेलिकॉप्टर मिलेंगे।
सीएच-47 चिनूक एक अडवांस्ड मल्टी मिशन हेलिकॉप्टर है जो भारतीय वायुसेना को बेजोड़ सामरिक महत्व की हेवी लिफ्ट क्षमता प्रदान करेगा। यह मानवीय सहायता और लड़ाकू भूमिका में काम आएगा। ऊंचाई वाले इलाकों में भारी वजन के सैनिक साज सामान के परिवहन में इस हेलिकॉप्टर की अहम भूमिका होगी। इससे भारतीय वायुसेना की हेवी लिफ्ट क्षमता में भारी इजाफा होगा। इस हेलिकॉप्टर का दुनिया के कई भिन्न भौगोलिक इलाकों में काफी सक्षमता से संचालन होता रहा है । खासकर हिंद उपमहाद्वीप के इलाके में इस हेलिकॉप्टर की विशेष उपयोगिता होगी।
गौरतलब है कि भारतीय वायुसेना ने 15 चिनूक हेलिकॉप्टर को हासिल करने का आर्डर दिया था जिसमें से पहला चिनूक हेलिकॉप्टर इस साल फरवरी में आया था।
चिनूक हेलिकॉप्टर अमेरिकी सेना के अलावा कई देशों की सेनाओं में सक्रिय भूमिका निभा रहा है। इसमें पूरी तरह एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट सिस्टम है। इसके अलावा इसमें कामन एविएशन आर्किटेक्चर काकपिट और अडवांस्ड काकपिट प्रबंध विशेषताएं हैं।
गौरतलब है कि गत दस फरवरी को बोईंग ने पहले चार चिनूक हेलिकॉप्टरों के गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर आगमन का ऐलान किया था। वहां से इन हेलिकॉप्टरों को चंडीगढ़ पहुंचाया गया। ये हेलिकॉप्टर तयशुदा वक्त से पहले ही भारत को सौंपने शुरू हो चुके है। बोईंग के एक अधिकारी के मुताबिक इससे बोईंग कम्पनी की भारत के प्रति प्रतिबद्धता उजागर होती है।
