नई दिल्ली। भारत में बनी पहली परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत द्वारा पहली बार भारत के समुद्र इलाके की गश्त पूरा कर विशाखापट्टनम लौटने की जानकारी देकर भारत ने अपनी त्रिकोणीय परमाणु क्षमता (न्यूक्लियर ट्रायड) को व्यवहार में लाने का अहम ऐलान किया है।
डिटरेंस पेट्रोल यानी दुश्मन की पनडुब्बियों और युद्धुपोतों में भय पैदा करने वाली समु्द्री गश्ती करने के बाद आईएनएस अऱिहंत के चालक दल के लौटने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनसे मुलाकात की और उन्हें बधाई देते हुए कहा कि ऐसी परमाणु पनडुब्बी को सक्रिय करने में मिली सफलता से भारत ने अपनी तकनीकी ताकत का प्रमाण दुनिया के सामने पेश किया है। भारत की सुरक्षा में असाधारण इजाफा करने वाली इस परमाणु पनडु्ब्बी के विकास में वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को उनके समर्पण के लिये उन्होंने सराहना की।
इस ऐतिहासिक कामयाबी के बाद रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने भी अपने संदेश में भारतीय सेनाओं और वैज्ञानिकों को बधाई दी है। इस पनडुब्बी के सफल संचालन के लिये प्रधानमंत्री कार्यालय के मार्गदर्शन का भी उन्होंने आभार जाहिर किया।
हमेशा रहस्य औऱ गोपनीयता के आवरण में रखी गई इस पहली परमाणु पनडु्ब्बी के बारे में पहली बार भारत सरकार की ओर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हवाले से यह अहम बयान जारी करवाया गया और इसे सार्वजनिक किया गया है।
भारत ने अऱिहंत परमाणु पनडुब्बी को सामरिक हमलावर परमाणु पनडुब्बी ( स्ट्रैटेजिक स्ट्राइक न्युक्लियर सबमरीन – एसएसबीएन) के तौर पर निरुपित किया है। इस पनडुब्बी को दो साल पहले समद्री परीक्षण के लिये उतारा गया था लेकिन इसके बारे में आधिकारिक तौर पर कोई बयान नहीं जारी किया गया था। नौसेना में ऑपरेशनल भूमिका में इसके सक्रिय होने को लेकर सामरिक हलकों और मीडिया में चल रही अटकलों पर सरकार ने अब पूर्णविराम लगा दिया है।
इस परमाणु पनडुब्बी के संचालन में भारत के बहादुर सैनिकों के साहस और प्रतिबद्धता की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस सफलता से भारत को अब एक विश्वसनीय परमाणु त्रिकोण की क्षमता मिल गई है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जो शक और अटकलें जाहिर की जा रही थीं उन्हें हमारे वैज्ञानिकों ने दूर कर दिया है।
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— ANI (@ANI) November 5, 2018
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की जनता एक शक्तिमान भारत और एक नया भारत बनाने की आकांक्षा रखती है। इस टीम ने सभी चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये अथक मेहनत की। उन्होंने कहा कि एक मजबूत भारत करोड़ों भारतीयों की उम्मीदों की आकांक्षाओं को पूरा करती है और यह विश्व शांति व स्थिरता के लिये एक महत्वपूर्ण स्तम्भ का काम करेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक जिममेदार देश के नाते भारत ने एक ठोस परमाणु कमांड और नियंत्रण ढांचा खड़ा किया है। इसके साथ ही एक प्रभावी सुरक्षा ढांचे के साथ एक सख्त राजनीतिक नियंत्रण की व्यवस्था भी स्थापित की गई है। यह एक न्यूनतम परमाणु प्रतिरोध और पहले परमाणु हमला न करने की अवधारणा के लिये कटिबद्ध है जैसा कि चार जनवरी, 2003 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिया गया था।
